News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
गृह मंत्रालय के सुझाव को किया खारिज ज्यादा अवार्ड दिए जाने पर उठाए सवाल खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। खेल मंत्रालय देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड को एक करने के हक में नहीं है। उसने गृह मंत्रालय को स्पष्ट किया है कि दोनों पुरस्कारों को एक करना सम्भव नहीं होगा। यही नहीं मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ट्रॉफी को भी एक किए जाने की सम्भावना नकार दी है। मंत्रालय इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के लिए गृह मंत्रालय की अवार्ड सेल के साथ बैठक करने जा रहा है। हां, गृह मंत्रालय के कहने पर आगे से राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का आवेदन पद्म पुरस्कारों की तरह ऑनलाइन किया जा सकेगा। इसके लिए मंत्रालय वेब पोर्टल और उमंग एप तैयार करने जा रहा है। हालांकि इस साल ऐसा सम्भव होता दिखाई नहीं दे रहा है। गौरतलब है कि खेल रत्न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के लिए दिया जाता है, जबकि अर्जुन अवार्ड बीते चार सालों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। गृह मंत्रालय की अवार्ड सेल सभी मंत्रालयों की ओर से दिए जाने वाले अवार्डों को एक छतरी के नीचे लाना चाहता है। जिससे अवार्डों के चयन में पारदर्शिता लाई जा सके। गृह मंत्रालय ने खेल मंत्रालय से अवार्ड चयन प्रक्रिया के लिए मंत्रालय में नोडल ऑफिसर नियुक्त करने को कहा है, जिसका सम्पर्क गृह मंत्रालय की अवार्ड सेल से रहेगा। इसी को ध्यान में रख गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड को न सिर्फ एक किए जाने को कहा बल्कि बीते साल अत्यधिक खेल रत्न, अर्जुन, ध्यानचंद और द्रोणाचार्य दिए जाने पर सवाल उठा दिए। गृह मंत्रालय का कहना है कि अवार्डों की संख्या सुनिश्चित होनी चाहिए। उसने खेल रत्न, अर्जुन को एक कर टियर दो, ध्यानचंद और द्रोणाचार्य को टियर-दो और राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार को टियर तीन का दर्जा देने को कहा। खेल मंत्रालय ने जवाब दिया है कि 2018 के गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल और जकार्ता एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन को ध्यान में रख अवार्डों की संख्या बढ़ानी पड़ी। मंत्रालय ने 2028 के ओलम्पिक की पदक तालिका में पहले 10 स्थानों में आने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए खिलाड़ियों को अवार्ड के रूप में प्रोत्साहन देना जरूरी है। ये खिलाड़ी 50 से अधिक राष्ट्रीय खेल संघों से जुड़े हैं। ये खेल क्रिकेट से लेकर कबड्डी, मलखम्ब तक हैं।