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फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पर लगा था प्रतिबंध हल्द्वानी। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड या तो अनजान है या जानबूझकर बीसीसीआई के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। ताजा मामला संयम अरोड़ा का है। ओवरएज पाए जाने पर संयम अरोड़ा पर बीसीसीआई ने 2018 में दो साल का लिए प्रतिबंध लगाया था। प्रतिबंध मार्च 2021 में समाप्त होना है। इससे पहले सीएयू के चयनकर्ता उसे चुनते हैं और टीम के साथ चेन्नई भी भेज देते हैं। हालांकि उसे बगैर मैच खिलाए वापस भेज दिया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि वसीम जाफर ने भी उसे अपनी 22 सदस्यीय टीम में 11वें नंबर पर जगह दी थी। उत्तराखंड को वर्ष 2018 में बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट खेलने की मंजूरी दी थी। यहां चार क्रिकेट एसोसिएशन सक्रिय थीं, लिहाजा सबको अलग-अलग टीम का जिम्मा दिया गया था। सीनियर टीम सीएयू, अंडर-19 उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन, जूनियर टीम का जिम्मा उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन, जबकि महिला क्रिकेट की जिम्मेदारी यूनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन को दी गई थी। अंडर-19 कूच बिहार ट्राफी में एक बल्लेबाज काफी उभर कर सामने आया था, जिसने उत्तराखंड के लिए पांच शतकों के साथ 1080 रन बनाए थे। उससे ज्यादा रन देश में सिर्फ दो ही बल्लेबाज बना पाए थे। इसी बीच संयम पर उम्र कम बताने के आरोप लगे। तब बीसीसीआई की एक कमेटी की जांच में आरोप सही पाए गए थे। संयम पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र देने का मामला सिद्ध हुआ था। बोर्ड ने कड़ी कार्रवाई करते हुए संयम पर दो साल का बैन लगा दिया था। प्रतिबंध के तहत संयम अरोड़ा बोर्ड या एसोसिएशन से जुड़े जिलास्तर के मैच भी नहीं खेल सकेगा। प्रतिबंध मार्च 2021 में समाप्त होना है। ऐसे में प्रतिबंध समाप्त होने से पहले सीनियर टीम में उनका चयन हैरान करने वाला है।