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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि राष्ट्रीय खेल संघों की मान्यता बढ़ाने और उन्हें खेल संहिता का पालन करने के लिए छह महीने से एक साल तक का समय देने का केन्द्र सरकार का फैसला 'उचित नहीं' है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले पर करीबी नजर रखे हुए है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह विस्तार व्यर्थ नहीं जाएगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय खेल संहिता के दायरे में नहीं आने वाले और इसका पालन नहीं करने वाले खेल संघ न तो केन्द्र सरकार की ओर से किसी भी तरह का अनुदान हासिल करने के हकदार हैं और न ही उन्हें अनुदान दिया जाएगा। न्यायमूर्ति विपिन सांघी तथा न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की विशेष पीठ ने पिछले सप्ताह पारित अपने आदेश में कहा, 'राष्ट्रीय खेल संहिता का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश इस अदालत ने पहले जुलाई 2014 और फिर फरवरी 2020 में जारी किए थे। इस पृष्ठभूमि में, प्रतिवादी (युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय) का खेल संघों को और समय देना उचित नहीं है।'