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राष्ट्रभक्ति को खेलशक्ति देने का अनूठा प्रयास
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज होगा यह आयोजन
श्रीप्रकाश शुक्ला
नई दिल्ली। कहते हैं कि यदि इंसान मन में ठान ले तो कोई काम असम्भव नहीं है। देश में हजारों स्वैच्छिक संस्थाएं राष्ट्र के समुन्नत विकास में किसी न किसी तरह से अपना योगदान दे रही हैं लेकिन जो काम गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर मंगलवार, 26 जनवरी को वेटरंस इंडिया ने किया है, वह अप्रतिम और दिल को छू लेने वाला है। वेटरंस इंडिया के स्पोर्ट्स विंग ने राष्ट्रभक्ति को खेलशक्ति से जोड़ने की जो अनूठी पहल की है उसे भारत सहित 53 देशों का सहयोग मिला है। इस आयोजन को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में जगह मिलेगी, इसमें लेशमात्र भी संदेह नहीं है।
खेलों के नजरिए से देखें तो ओलम्पिक और राष्ट्रमंडल खेलों में ही सबसे अधिक देश सहभागिता करते हैं लेकिन वेटरंस इंडिया ने अपने प्रयासों से हिन्दुस्तान में खेल क्रांति का जो बिगुल गणतंत्र दिवस को फूंका है, उसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है। वेटरंस इंडिया के राष्ट्रभक्ति को खेलशक्ति से जोड़ने के प्रयासों को सिर्फ भारत ही नहीं 52 अन्य देशों का सहयोग मिलना अपने आप में एक कीर्तिमान है। यह दुनिया का पहला ऐसा आयोजन है जिसमें 50 लाख से अधिक लोगों ने सहभागिता की है।
इस महती आयोजन पर वेटरंस इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिनय कुमार मिश्रा का कहना है कि वेटरन्स इंडिया पैट्रिओटिक रन (देशभक्ति की दौड़) की सफलता का श्रेय पूरे संगठन के सदस्यों एवं उन सभी देशभक्तों को जाता है जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से इस आयोजन का समर्थन किया है। राष्ट्रीय महासचिव डा. अशोक कुमार लेंका का कहना है कि यह अनूठा आयोजन सभी के प्रयासों से ही सम्भव हो सका है। इस सफल आयोजन का श्रेय खेलो इंडिया यूनिट, भारतीय खेल मंत्रालय, भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, एथलीट अंजू बाबी जार्ज, दीपा मलिक सहित दो दर्जन से अधिक नामचीन खेल शख्सियतों के संदेशों तथा संगठन से जुड़े हजारों कर्मठ लोगों की दिन-रात की मेहनत को जाता है।
इस शानदार सफलता पर डा. प्रेम चंद्र कश्यप और समीक्ष्य नंदा दास का कहना है कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति-खेलशक्ति की सोच को जन-जन तक पहुंचाने में 53 देशों के खेलप्रेमियों का जो सहयोग और प्रोत्साहन मिला है, उसके लिए वेटरंस इंडिया संस्था सभी का दिल से आभार मानती है। ज्ञातव्य है कि वेटरंस इंडिया के प्रयासों से पैट्रिओटिक रन (देशभक्ति की दौड़) भारत के सभी राज्यों, लगभग सात सौ अधिक जिलों सहित 52 अन्य देशों में आयोजित की गई जिसमें 50 लाख से अधिक बच्चों, युवाओं और उम्रदराज लोगों ने हिस्सा लेकर खेलों में एक नया अध्याय लिखते हुए देशभक्ति की अनूठी मिसाल कायम की है।