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उधार के जूतों से हासिल की टोक्यो ओलम्पिक की मंजिल खेलपथ प्रतिनिधि जयपुर। कहते हैं यदि हिम्मत और जुनून हो तो हर मंजिल आसान है। राजस्थान की बेटी भावना जाट ने अपने दमखम से वह मुकाम हासिल किया है, जिसे लोग मुश्किल चुनौती मान रहे थे। सुबह के 3 बजे। राजस्थान के काबरा गांव में एक लड़की ने जूते के फीते बांधे और अपने मिट्टी के घर के पास धूल भरी सड़क पर दौड़ना शुरू कर दिया। देखने वाले, खासतौर पर ट्रक ड्राइवर उसे देखकर चौंक गए कि यह लड़की दौड़ क्यों रही है। हम बात कर रहे हैं लम्बी दूरी की धावक भावना जाट के शुरुआती दिनों की, जिनके सपनों की उड़ान रात को ही शुरू होती थी। दिन में गांव वालों की बातें सुनने से बचने के लिए उसने अपने कौशल को रात में पंख देना शुरू किया क्योंकि लोग उसे खेल छोड़ घर का काम करने की सलाह दिया करते थे। शॉर्ट्स पहनकर दौड़ने से टोकते थे। बातों को अनसुना कर इस युवा खिलाड़ी ने नेशनल रिकॉर्ड तो बनाया ही, साथ ही टोक्यो ओलम्पिक के लिए भी क्वालीफाई किया। 24 साल की भावना ने 20 किलोमीटर रेस वॉकिंग में एक घंटे 29 मिनट 54 सेकेंड का समय निकाला था। इसे बहुत बड़ी उपलब्धि इसलिए भी मानेंगे क्योंकि इससे पहले भावना ने न कभी किसी नेशनल-इंटरनेशनल कैम्प में हिस्सा लिया था और न ही उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी। वे कहती हैं, ‘एक समय ऐसा भी था कि हमें दो वक्त का खाना भी मुश्किल से मिलता था। हम मिट्टी के घर में रहते थे। ऐसे में ओलम्पिक में चुना जाना बहुत बड़ी बात है। पिता और भाई ने भी मुझ पर भरोसा दिखाया।’ उनके बनाए नेशनल रिकॉर्ड की अगर रियो ओलिंपिक-2016 से तुलना करें तो यह रिकॉर्ड टॉप-7 में रहता। भावना ने 2009 में दौड़ शुरू की थी। स्कूल के फिजिकल ट्रेनर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनके लिए गांव वाले ही समस्या नहीं थे बल्कि घर की आमदनी भी बड़ी परेशानी थे। उन्हें नौकरी या खेल दोनों में से किसी एक को चुनना था। उन्होंने अपने सपने को चुना। रेस वॉकिंग को आगे बढ़ाने के लिए दो लाख रुपए का लोन लिया। जब वे सब-जूनियर खेला करतीं, तो पिता की हर महीने की आमदनी दो हजार रुपए थी। उन्हें साथियों से जूते उधार लेकर टूर्नामेंट में हिस्सा लेना पड़ता। ये सब दिक्कतें भावना के जुनून और जज्बे को डिगा नहीं सकीं। उन्होंने ओलम्पिक क्वालीफाई करके यह साबित भी कर दिया। भावना से ओलम्पिक में मेडल की उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि वे ट्रेनिंग में कई बार एक घंटे 28 मिनट 4 सेकेंड का समय निकाल चुकी हैं। यह समय रियो ओलम्पिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट के बराबर है। भावना पिछले साल मार्च से बेंगलुरु के साई सेंटर में ट्रेनिंग कर रही हैं। वे लगातार अपने प्रदर्शन को सुधारने में जुटा हुई हैं। वे फरवरी में नेशनल चैम्पियनशिप में उतरेंगी।