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नई दिल्ली। खेल मंत्रालय ने भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीआई) पर लगा बैन तुरंत प्रभाव से हटा दिया है। पैरालम्पिक समिति पर खेल मंत्रालय ने पिछले साल खराब संचालन के कारण यह प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद पीसीआई ने अपने अध्यक्ष राव इंद्रजीत को बर्खास्त करने का फैसला किया था। मंत्रालय को राव इंद्रजीत की शिकायत मिली थी जिन्हें बहुमत से हटाया गया। मंत्रालय ने पाया कि शिकायत को लेकर महासंघ का जवाब संतोषजनक नहीं था। पीसीआई ने चार मई को आमसभा की बैठक में अपने उप नियमों के बदलाव करते हुए सरकारी सेवा से जुड़े लोगों को प्रतिबंधित कर दिया था। राव इंद्रजीत केंद्र सरकार में राज्य मंत्री (योजना) हैं। मंत्रालय ने अपने पत्र में कहा, 'मंत्रालय ने शिकायत पर 11 जुलाई, 2019 और 28 अगस्त, 2019 को नोटिस जारी करके पीसीआई से जवाब मांगा था। पीसीआई ने जो जवाब दिया वह संतोषजनक नहीं था।' साथ ही मई में पीसीआई की एजीएम और 25 जनवरी तथा 25 फरवरी को एसजीएम को अवैध माना गया जिसके कारण उसे निलंबित किया गया। मंत्रालय ने कहा, 'सोसाइटीज के जिला पंजीयक की जानकारी में लाए बगैर पीसीआई के उप नियमों में बदलाव किया गया जो कर्नाटक सोसाइटीज अधिनियम 1960 और नियम 1961 का उल्लंघन है।' इसमें कहा गया, 'सरकार का नजरिया है कि पीसीआई सुशासन की प्रक्रिया पर चलने में नाकाम रहा और अपने ही चुने हुए अध्यक्ष को हटाकर उसने राष्ट्रीय खेल संहिता 2011 और अपने ही संविधान का उल्लंघन किया है।' दीपा मलिक बनीं भारतीय पैरालम्पिक समिति की नई अध्यक्ष पैरालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी दीपा मलिक भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीआई) की नई अध्यक्ष चुनी गईं। रियो ओलम्पिक में गोला फेंक (एफ-53 स्पर्धा) में रजत पदक जीतने वाली 49 साल की दीपा को बेंगलुरु में हुए चुनाव में निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया था। दीपा ने पीसीआई को टैग करते हुए ट्वीट किया था, ''भारतीय पैरालम्पिक में नए कार्यकाल की शुरुआत के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपने और भारत में पैरा खेलों में एथलीट केंद्रित दृष्टिकोण का स्वागत करने पर मैं आभार व्यक्त करना चाहती हूं। उन्होंने कहा, ''मेरे लिए यह बड़ा बदलाव का मौका होगा। व्यक्तिगत तौर पर मुझे उम्मीद है कि आपका समर्थन मिलना जारी रहेगा। मैं पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए तत्पर हूं।