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भारतीय बॉडी बिल्डिंग की कमान पहली बार हिरल सेठ के हाथ इंदौर। बॉडी बिल्डिंग को भारत में खेल से ज्यादा शौक के रूप में पहचान मिली है। इसमें युवा खासकर पुरुष वर्ग ही ज्यादा हिस्सेदारी रखता है और महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। मगर पहली बार भारतीय बॉडी बिल्डिंग महासंघ (आईबीबीएफ) की कमान हिरल सेठ को सौंपी गई है। मंगलवार को हुए चुनावों में महासचिव सहित तीन अहम पदों पर महिलाओं को चुना गया। पद्मश्री अवॉर्डी व पूर्व विश्व चैंपियन प्रेमचंद ढींगरा और बॉडी बिल्डिंग के अंतरराष्ट्रीय संगठन के महासचिव चेतन पठारे की उपस्थिति में सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। नई कार्यकारिणी का कार्यकाल चार साल का होगा। दिल्ली के अरविंद मधोक को अध्यक्ष, जबकि महाराष्ट्र की हिरल सेठ को महासचिव चुना गया है। मध्यप्रदेश के अतिन तिवारी कोषाध्यक्ष चुने गए। संगठन में दो अन्य महिलाओं तुलसी सुजन (गुजरात) उपाध्यक्ष और सुमित्रा त्रिपाठी (ओडिशा) को कार्यकारिणी सदस्य के रूप में स्थान मिला। आईबीबीएफ की महासचिव हिरल सेठ ने कहा है, "यह सही है कि अभी भी देश में महिलाओं का बॉडी बिल्डिंग करना ठीक नहीं समझा जाता है। इस विचारधारा को तोड़ना मेरे लिए चुनौती है। जिस तरह मैं भारतीय बॉडी बिल्डिंग संगठन में महासचिव पद तक पहुंची हूं, इसी से प्रेरणा लेकर महिलाएं भी इस खेल में आगे आएंगी। हम आने वाले दिनों में इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास करेंगे।" आईबीबीएफ के अध्यक्ष अरविंद मधोक ने कहा है, "युवा मेहनत करने के बजाय शॉर्टकट अपनाते हैं और ड्रग्स के जाल में फंसते हैं। हम सेमिनार कर इस बारे में जागरूकता बढ़ाएंगे। हमने निर्णायकों से भी कहा है कि यदि आपको अपने अनुभव के आधार पर लगता है कि कोई खिलाड़ी असामान्य लग रहा है और आपको शक है कि ड्रग्स लेता है तो उसे अयोग्य ठहरा सकते हैं।" आईबीबीएफ के कोषाध्यक्ष अतिन तिवारी का कहना है, "कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन में देशभर के जिम मालिकों को नुकसान उठाना पड़ा है। मगर सेहत और वर्जिश के प्रति बढ़ती जागरूकता से उनकी भरपाई होगी। हम भी प्रयास करेंगे। खिलाड़ियों को भी निचले स्तर पर बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है। देशभर में प्रतिभाशाली खिलाडि़यों का चयन कर उनके लिए फंड बनाकर मदद की योजना जल्द तैयार की जाएगी।" इस खेल के सामने चुनौतियां भी कम नहीं -युवा जल्दी बॉडी बनाने के चक्कर में ड्रग्स की लत में फंस रहा है। -योग्य प्रशिक्षक न होने से खिलाडि़यों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। -महिलाओं का बॉडीबिल्डिंग करना ठीक नहीं समझा जाता है। - खेल के रूप में पहचान दिलाकर विभिन्न शासकीय कार्यालयों में नौकरी की व्यवस्था कराना। -कोरोनाकाल में जिम मालिकों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए योजना बनाना।