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आईओसी को बदलने पड़ सकते हैं नियम नई दिल्ली। एक ब्रिटिश जर्नल के नए अध्ययन ने सभी को चौंका दिया है। यह नया अध्ययन ट्रांसजेंडर महिलाओं को लेकर प्रकाशित किया गया है। जर्नल का दावा है कि इलाज के बाद भी ट्रांसजेंडर महिलाएं सामान्य महिलाओं की अपेक्षा 12 प्रतिशत अधिक तेज होती हैं। इस नए अध्ययन के बाद अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) को अपने नियमों में बदलाव करने पड़ सकते हैं। ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है ट्रांसजेंडर महिलाओं का टेस्टोस्टेरोन इलाज के बाद भी वह सामान्य महिलाओं से 12 प्रतिशत तेज है। शोधकर्ताओं ने 29 ट्रांसजेंडर पुरुषों और 46 ट्रांसजेंडर महिलाओं को अमेरिकी एयर फोर्स में रखा। हार्मोन थैरेपी के इलाज से पहले ट्रांसजेंडर महिलाएं एयर फोर्स में चयनित महिलाओं से 31 प्रतिशत ज्यादा पुश-अप, और 21 प्रतिशत तेज दौड़ रही थीं। दो साल टेस्टोस्टेरोन को दबाने के बाद भी ट्रांसजेंडर महिलाएं समान्य महिलाओं से 12 प्रतिशत तेज थीं। क्या होता है टेस्टोस्टेरोन टेस्टोस्टेरोन एक स्टेरॉइड हार्मोन है। ये हार्मोन पुरुषों में पाया जाता है। शरीर में इस हार्मोन के सामान्य स्तर पर रहने से थकावट, सुस्ती से बचा जा सकता है। साथ ही यह मांसपेशियों को बढ़ाने में भी मदद करता है। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) महिलाओं के साथ ट्रांसजेंडर महिलाओं को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देता है। आईओसी के नियमों के अनुसार ट्रांसजेंडर महिलाओं का टेस्टोस्टेरोन 10 नैनोमोल से नीचे रहना चाहिए। इसके लिए आईओसी एक साल के इलाज का भी समय देता है। सामान्य महिलाओं में औसतन टेस्टोस्टेरोन 0.12 नैनो मोल रहता है। यह अध्ययन ऐसे में समय आया है जब रग्बी ने ट्रांसजेंडर महिलाओं को समान्य महिलाओं के साथ खेल में भागीदारी पर रोक लगा दी है। इस रिसर्च से अब एक नया बहस शुरू हो जाएगी कि क्या ट्रांसजेंडर महिलाओं को सामान्य महिलाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देनी चाहिए या नहीं।