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उत्तर प्रदेश में खेल प्रतिभाएं और अंशकालिक खेल प्रशिक्षक निराश
खेलपथ प्रतिनिधि
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेन्द्र तिवारी की मंशा को संचालक खेल आर.पी. सिंह पलीता लगा रहे हैं। खेल मंत्री श्री तिवारी चाहते थे कि प्रदेश भर में खेल प्रतिभाओं के प्रशिक्षण का काम एक अक्टूबर से शुरू हो जाए लेकिन साढ़े चार सौ अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों के पेट पर लात मारने वाले संचालक खेल की समझ में ही नहीं आ रहा कि खेल मंत्री को खुश करें भी तो कैसे। एक तरफ घर बैठे प्रशिक्षकों में जहां संचालक खेल के रवैये से जबर्दस्त गुस्सा है वहीं दूसरी तरफ खेल मंत्री उपेन्द्र तिवारी भी खेल प्रशिक्षण शुरू न होने से खासे खफा हैं।
सूत्रों पर यकीन करें तो खेल मंत्री उपेन्द्र तिवारी की समझ में भी आ रहा है कि संचालक खेल आर.पी. सिंह उन्हें अंधेरे में रख रहे हैं। खेल मंत्री उपेन्द्र तिवारी ने एक साल पहले बाराबंकी के स्टेडियम में झाड़ू लगाकर खेल अधिकारियों को संकल्प दिलाया था कि वे खिलाड़ियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करेंगे। तब उन्होंने कहा था कि जब वातावरण ही स्वच्छ नहीं होगा, तब तक स्वस्थ रहने की कल्पना नहीं की जा सकती। स्वस्थ दिमाग से ही फिट रहने का संदेश दिया जा सकता है।
स्वच्छता अभियान के बाद उन्होंने बाराबंकी स्टेडियम में युवा खिलाड़ियों से बात करके उनसे उनके खेल और स्टेडियम की व्यवस्था तथा सुविधाओं के बारे में जानकारी ली थी, तब उन्होंने खिलाड़ियों से खेल को बढ़ावा देने के लिए सुझाव भी मांगे थे। खेलमंत्री ने खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करने और विश्व पटल पर देश के साथ प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए प्रोत्साहित किया था। तब उन्होंने कहा था कि कोई भी जरूरत हो तो हम खिलाड़ियों की समस्या समाधान के लिए हर वक्त उपलब्ध हैं। किसी भी तरह की परेशानी खिलाड़ियों को नहीं होने दी जाएगी।
खेल मंत्री तिवारी ने पिछले साल जो कहा था आज समूचे उत्तर प्रदेश में उसका उल्टा हो रहा है। खिलाड़ी अधिकारियों से नहीं प्रशिक्षकों की मेहनत से तैयार होते हैं। यह बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और खेल मंत्री उपेन्द्र तिवारी की समझ में क्यों नहीं आ रही, इस बात को लेकर हर खिलाड़ी हैरान-परेशान है। देश के अन्य राज्यों में जहां खेल गतिनिविधियां पटरी पर आ चुकी हैं वहीं उत्तर प्रदेश में संचालक खेल आर.पी. सिंह 25 मार्च से अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों को घर बैठाकर चैन की बांसुरी बजा रहे हैं।
जो भी हो प्रदेश के हर जिले में खेल प्रतिभाएं तो मैदानों तक पहुंच रही हैं लेकिन उन्हें प्रशिक्षण देने को प्रशिक्षक न होने से वे निराश मन से घर वापस लौट आती हैं। जिलों में तैनात क्रीड़ा अधिकारियों की कही सच मानें तो उन्होंने कोच उपलब्ध कराने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। खिलाड़ी भी लगातार खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति कराने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश खेल विभाग करीब 24-25 खेलों को संचालित करता है। उस हिसाब से प्रत्येक स्टेडियम में 24-25 खेल संचालित होने चाहिए, किन्तु छह से आठ खेल संचालित करके ही खेल विभाग अपनी इतिश्री कर लेता है।
वर्तमान समय में घर बैठ अंशकालिक खेल प्रशिक्षक पत्र के माध्यम से प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, खेल मंत्री तक को अपनी दुर्दशा और आपबीती से अवगत करा चुके हैं लेकिन संचालक खेल अपनी कारगुजारियों से खेलों का सत्यानाश करने की कसम खा चुका है। प्रशिक्षक लगातार बैठक कर खेल विभाग के प्रति अपनी नाराजगी जता रहे हैं। बिजनौर के नेहरू स्पोर्ट्स स्टेडियम के वॉलीबाल प्रशिक्षक अजीत सिंह, कबड्डी के पुष्पेंद्र सिंह, हॉकी की चित्रा चौहान, कुश्ती के धर्मदेव भाटी, शूटिंग के सैयद सादिक अनीस, महिला कबड्डी की अंशु चौधरी आदि ने जिला क्रीड़ा अधिकारी जयवीर सिंह से शीघ्र ही उनकी संविदा बढ़ाने की मांग की है। इस बाबत जिला क्रीड़ा अधिकारी जयवीर सिंह का कहना है कि उनकी ओर से प्रस्ताव बनाकर खेल निदेशालय को भेज दिया गया है। इस बारे में अभी मुख्यालय से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।