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ओडिशा में खेल को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने के प्रयास बेंगलुरु। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के डिफेंडर अमित रोहिदास का कहना है कि एक समय ऐसा था जब लोगों को लगता था कि भारत में क्रिकेट के अलावा दूसरा खेल खेलना समय की बर्बादी है। मैं हॉकी खेल को समय की बर्बादी नहीं स्वाभिमान का प्रतीक मानता हूं। पिछले सप्ताह राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था कि राज्य में जमीनी स्तर पर खेल के बुनियादी ढांचे और कोचिंग सुविधा विकसित की जाएगी। अमित ने कहा कि यह देखना सुखद है कि ओडिशा में खेल को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। ओडिशा के सुंदरगढ़ से आने वाले अमित ने कहा, “मेरे ख्याल से ओडिशा में खेल को बढ़ावा देने का यह सही समय है क्योंकि सरकार जमीनी स्तर पर इसको बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। इससे न सिर्फ युवा खिलाड़ियों बल्कि कोचों को भी बेहतर अवसर मिलेंगे। खेल को विशेषकर हॉकी को सरकारी और निजी स्कूलों में अनिवार्य करना गेम चेंजर साबित होगा क्योंकि हॉकी सुंदरगढ़ और इसके आसपास के क्षेत्रों में ज्यादातर खेली जाती है।” उन्होंने कहा, “एक समय ऐसा था जब लोग सोचते थे कि भारत में क्रिकेट के अलावा कोई और खेल खेलना समय की बर्बादी है और खेलने से कोई अपना जीवन नहीं बना सकता है। लेकिन हाल के वर्षों में परिवर्तन आया है और अगर आप खेल में अच्छे हैं तो आपको सम्मान तथा नौकरी मिलती है।” बेंगलुरु के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में मौजूद अमित का कहना है कि वह यूरोपियन टीमों को फालो करते हैं। उन्होंने कहा, “मैं इन टीमों का पेनल्टी कॉर्नर और डिफेंडिंग रणनीति को देखता हूं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पांच महीने से ज्यादा समय के बाद हॉकी शुरु होने पर यह टीमें कैसा प्रदर्शन करती हैं।”