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Description:
बेटी, पत्नी और माँ के बाद एथलीट बनना सुखद अहसास
खेलपथ प्रतिनिधि
लखनऊ।
आसमान से तारे तोड़ लाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो आसमान को भी धरती पर ले आएंगे। ये तो महज़ चंद लफ्ज हैं उन लोगो के लिए जिनकी जिद और जुनून के आगे पत्थर भी मोम बन जाता है। ये लाइन लखनऊ की उस बेटी, पत्नी और माँ के लिए समर्पित हैं जिसके हौसलों के आगे समय को भी झुकना पड़ गया।
हम जिस शख्सियत का यहाँ जिक्र करने वाले हैं वो लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में रहने वाली एथलीट डॉक्टर तृप्ति सिंह हैं। ये वो नाम है जो अब उन युवतियों के लिए मिसाल और प्रेरणा बन चुकी है जो शादी के बाद अपने सपनों को पैरों तले रौंद देती हैं। डॉक्टर तृप्ति ऐसी युवतियों के लिए अब एक अपवाद बन चुकी हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर की रहने वाली डॉक्टर तृप्ति सिंह का पूरा परिवार उच्च शिक्षित है।
घर के संस्कार और शैक्षिक वातावरण के बीच तृप्ति का बचपन से ही दुनिया के पटल पर स्पोर्ट के क्षेत्र में देश का गौरव बढ़ाने का सपना था। तृप्ति ने इसकी शुरुआत बचपन से ही कर दी लेकिन उम्र के उस पड़ाव पर आने के बाद जहां पर हर माँ–बाप को अपनी बेटी की शादी की चिंता सताने लगाती है तृप्ति के साथ भी ऐसा ही हुआ। इसके बावजूद शादी टालने के लिए तृप्ति ने पढ़ाई को आगे बढ़ाने का फैसला किया। पढाई के दौरान ही तृप्ति स्पोर्ट में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती रहीं।
शिक्षा के क्षेत्र में तमाम तरह के डिप्लोमा और डिग्रियां हासिल करने के बाद आखिर वह समय भी आ ही गया जब समय के आगे तृप्ति को भी झुकना पड़ा और वह सतपाल सिंह नाम के युवक के साथ परिणय सूत्र बंध में गईं। जो स्पोर्ट कभी तृप्ति का जुनून और सपना था शादी के बाद उस पर ब्रेक लग गया। वर्तमान में डॉक्टर तृप्ति के एक फूल सी बच्ची है और अपने परिवार के साथ वह बेहद खुश भी है। इसी बीच अचानक ही तृप्ति के पास उनके पुराने कोच का फोन आता है और वह इन्हें दोबारा स्पोर्ट की दुनिया में आने के लिए आमंत्रित करते हैं।
यह एक ऐसा पल था जहां पर अकेले तृप्ति को निर्णय लेना बेहद कठिन था। ऐसे समय में डॉक्टर तृप्ति के पति सतपाल सिंह ने न सिर्फ उनकी हौसला अफजाई की बल्कि उनके प्रेरणास्रोत्र भी बन गए। तकरीबन 19 साल के बाद स्पोर्ट की दुनिया में कम बैक हुई डॉक्टर तृप्ति का आगाज भी बेहद शानदार और धमाकेदार रहा। एथलीट डॉक्टर तृप्ति बताती हैं कि एक ऐसी महिला के लिए जिसने 19 साल तक स्पोर्ट से दूरी बना ली थी और इस बीच एक बच्ची हो जाने के बाद तो शरीर भी पूरी तरह से फिट नहीं रह जाता है।
इसके बावजूद भी तृप्ति ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को फिट करने के साथ ही धमाकेदार वापसी में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में एक स्वर्ण पदक समेत सात मेडल भी जीत लिये। एथलीट डॉक्टर तृप्ति सिंह की इस उपलब्धि पर उन्हें सम्मानित किया गया।
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आंधियां उठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं।-साहिर लुधियानवी का यह शेर तृप्ति पर अक्षरशः सत्य साबित होता है।