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नहीं तो तबाह हो जाएगा युवा पहलवानों का करियर
खेलपथ संवाद
इंदौर।
अर्जुन अवॉर्डी पहलवान और जाने-माने कोच कृपाशंकर बिश्नोई ने भारतीय कुश्ती महासंघ से आग्रह किया है कि वह इस साल सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप 2020 का आयोजन करे नहीं तो देश के युवा पहलवानों को इसका नुकसान होगा। कृपाशंकर ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को पत्र लिखकर कहा कि देश में कोरोना वायरस सभी के लिए नई चुनौती है, पर इसके बावजूद भी जिन्दगी कभी रुकती नहीं है। अब जिन्दगी अपनी रफ्तार पर धीरे-धीरे पुन: वापस आ रही है। हालांकि भारतीय कुश्ती महासंघ अपने खिलाड़ियों, तकनीकी अधिकारियों और कुश्ती प्रशंसकों की सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं। लेकिन उन्हें ज्ञात हुआ है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण महासंघ इस साल सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप 2020 आयोजित नहीं करेगा।
कृपा ने कहा कि अगर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप नहीं होगी, तो स्टार खिलाड़ियों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उन्हें कोई नुकसान भी नहीं होगा क्योंकि वे पहले से ही कुछ सरकारी विभागों से जुड़े हैं। लेकिन यदि इस वर्ष सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप 2020 का आयोजन नहीं किया जाता है, तो देश के कई युवा पहलवान जो कुश्ती के साथ अपने करियर को बनाना चाहते हैं, उनके जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के पदकों की बदौलत खेल और खिलाड़ियों को प्रमोट करने के लिए भारतीय रेलवे, भारतीय सेना, पुलिस समेत कई सरकारी संस्थान अपने यहां सरकारी नौकरियों में मेधावी खिलाड़ियों की सीधी भर्ती किया करते हैं। खेल कोटे के अंतर्गत सरकारी जॉब के लिए सरकारी संस्थाओं का ज्यादातर यही मानदण्ड होता है कि खिलाड़ी सीनियर/जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप में भाग लिया हो या कम से कम तीसरा स्थान प्राप्त किया हो। राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप नहीं होने से इन युवा पहलवानों का करियर प्रभावित होगा।
श्री बिश्नोई ने कहा कि चैम्पियनशिप उसी तरह से आयोजित की जानी चाहिए जैसे किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से पहले भारतीय पहलवानों की चयन ट्रायल आयोजित होती है। उसी दिन, वही पहलवान प्रतियोगिता स्थल पर आएंगे, जिनका मैच उस दिन आयोजित किया गया है। सभी राज्यों को चाहिए कि वह अपने पहलवानों के ट्रेन आरक्षण उन पहलवानों के कुश्ती मैच और वजन वाले दिन के अनुपात में ही कराएं। कोरोना संक्रमण के जोखिम को देखते हुए पूरी कुश्ती टीम को एक साथ लाने-ले-जाने की प्रथा को फिलहाल समाप्त किया जाना चाहिए। हालांकि, कुश्ती प्रतियोगिता इंडोर हॉल में होती है, लेकिन कोरोना संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए इसे खुले मैदान में किया जाना चाहिए। खिलाड़ियों के वजन और प्रतियोगिता के दौरान कोच, पहलवानों, रेफरियों और अधिकारियों की सावधानियों व स्वच्छता को बनाए रखने के लिए भारतीय कुश्ती संघ को मापदंड बनाना चाहिए। इसके लिए विशेषज्ञों की मदद बहुत जरूरी होगी।
कृपा ने सुझाव दिया कि भारतीय कुश्ती संघ को कोरोना वायरस रोकथाम और सुरक्षा मैनुअल बनाकर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 2020 का आयोजन करना चाहिए। उनके सुझावों में बगैर दर्शकों के राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप का आयोजन हो। किसी भी स्टेडियम या मैदान में नहीं करवाते हुए इसे एक छोटे जगह पर आयोजित करने की जरूरत है, जहां तीन मैट आसानी से लगाए जा सकें। तीन मैट और प्रतिदिन कम वजन श्रेणियों को शामिल करने के कारण हर दिन टूर्नामेंट को खत्म करने में बहुत कम समय लगेगा और समय की कमी के कारण खिलाड़ी एक-दूसरे के सम्पर्क में नहीं रह सकेंगे।