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प्रशासन ने खींचा हाथ, सामाजिक संगठनों ने दिया धोखा बस्ती। बनकटी नगर पंचायत के बजहा गांव निवासी कृष्ण कुमार मिश्र का बेटा बैडमिंटन का नेशनल खिलाड़ी शिवम मिश्र पिछले चार माह से इंडोनेशिया स्थित एक प्रशिक्षण केंद्र में फंसा है। सेंटर उनसे करीब साढ़े चार लाख रुपये की मांग बतौर शुल्क कर रहा है। किसान कृष्ण कुमार मिश्र बेटे को वापस लाने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं, मगर उनके पास इतनी रकम नहीं है, जिससे बेटा वापस ला सकें। श्री मिश्र के अब तक के तमाम प्रयास बेकार साबित हो चुके हैं। शिवम के मामले में प्रशासन ने भी हाथ खींच लिए तो सामाजिक संगठनों ने सहयोग का आश्वासन देकर उन्हें धोखा दे दिया है। मर्माहत किसान के.के. मिश्र अपने बेटे को वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक सभी के दरवाजे पर जा चुके हैं, मगर सहयोग किसी से नहीं मिला। कृष्ण कुमार मिश्र का कहना है कि उनका बेटा शिवम बैडमिंटन की ट्रेनिंग के लिए एक महीने के लिए इंडोनेशिया गया था लेकिन पिछले चार महीने से इंडोनेशिया में ही फंसा है। इंडोनेशिया का ट्रेनिंग सेंटर अब उनसे लाखों रुपये की मांग कर रहा है। जिसको देने में असमर्थ होने कारण वह अपने वतन नहीं लौट पा रहा है। किसान कृष्ण कुमार मिश्र जीविकोपार्जन के लिए एलआईसी की एजेंसी भी करते हैं। वे कहते हैं कि शिवम लॉकडाउन के पहले 15 मार्च को अपने खर्चे पर एक महीने की ट्रेनिंग लेने इंडोनेशिया गया था। इसके लिए उन्होंने 1750 डॉलर (करीब एक लाख 30 हजार रुपये) फीस के तौर पर दिए थे। इसके बाद 25 मार्च से लगे लॉकडाउन में वह वहीं फंस गया। शिवम की परेशानी यह है कि प्रशिक्षण संस्थान अब उनसे करीब साढ़े चार लाख रुपये की मांग रहा है। प्रशिक्षण संस्थान का कहना है कि कोविड-19 की वजह से अगर शिवम उनके यहां रुका है तो उसे पूरी फीस चुकानी होगी। ट्रेनिंग सेंटर का कहना है कि शुल्क चुकता करने के बाद ही शिवम की वतन वापसी हो सकेगी। शिवम ने अपनी परेशानी के बारे में परिवार को बताया लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से पिता रुपये देने में असमर्थ हैं। शिवम के पिता ने बताया कि उनका बेटा बाबू बनारसी दास बैडमिंटन ट्रेनिंग सेंटर लखनऊ में ट्रेनिंग ले रहा है। होनहार शिवम कम उम्र से ही अपनी खास पहचान बना चुका है। शिवम इंडोनेशिया, थाइलैंड, पुर्तगाल और नेपाल समेत कई देशों में भारत का नाम रोशन कर चुके हैं। लेकिन अब विदेश में जब वह फंस गए हैं तो कोई उसकी मदद नहीं कर रहा है।