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हमने हमेशा बड़े मौकों को गंवाया खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और गोलकीपर भरत छेत्री का मानना है कि भारत की मौजूदा पुरुष और महिला हॉकी टीमें फिटनेस, खेल के तरीके और समन्वय के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ है। 2012 लंदन ओलंपिक टीम का हिस्सा रहे भरत ने कहा, “भारतीय पुरुष टीम में खिलाड़ी के तौर पर शामिल होना मेरे जीवन का बेहतरीन पल है। मुझे एक दशक से भी ज्यादा समय तक अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य मिला। मैं यह कह सकता हूं कि मैं मैदान पर हमेशा अपने देश के लिए अपना 110 फीसदी देने के लिए तैयार रहा।” उन्होंने कहा, “मुझे 2012 लंदन ओलम्पिक में हिस्सा लेकर ओलंपियन बनने का पहली बार सौभाग्य प्राप्त हुआ जहां हमारी टीम वीआर रघुनाथ, शिवेंद्र सिंह और संदीप सिंह की मौजूदगी में एक अच्छी टीम थी। हालांकि मैं इसे अवसर खोना कहता हूं क्योंकि हम सभी मुकाबलों में वापसी कर सकते थे लेकिन हमने मौके गंवाए। मैं इसे खराब टूर्नामेंट नहीं कहता, क्योंकि एक देश के रुप में हमें इन मुकाबलों से काफी कुछ सीखने को मिला।” पूर्व कप्तान ने कहा, “हम उस समय अन्य टीमों की तुलना में फिटनेस और खेल के तरीके में पीछे थे, लेकिन मुझे लगता है कि उच्च स्तर पर हमारा खेलने का जज्बा हमेशा ऊंचा रहा। हॉकी के प्रशंसक और एक पूर्व खिलाड़ी के रुप में मुझे मौजूदा पुरुष तथा महिला टीमों को देखकर संतुष्टि मिलती है।” भरत ने कहा, “हमारे पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं और मेरे विचार से दोनों ही टीमें संयोजन के हिसाब से एक जैसी है। हमारे पास सविता और पीआर श्रीजेश जैसे अनुभवी गोलकीपर हैं जो गोलपोस्ट में रहकर अपना काम बखूबी करते हैं।” उन्होंने कहा, “दोनों टीमों का मिडफील्ड और आक्रमण काफी मजबूत, कुशल और प्रभावी है जिसमें युवा और अनुभवी खिलाड़यिों का अच्छा मेल है। मैंने दोनों टीमों के साथ काम किया है और इन्हें पास से जाना है। मुझे लगता है कि मौजूदा टीमें फिटनेस, खेलने के तरीके और समन्वय के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ हैं।” भरत ने कहा, “जब मैं इन लोगों का समन्वय मैदान के अंदर और बाहर देखता हूं तो मुझे काफी खुशी होती क्योंकि इस स्तर का समन्वय पहले हमारी टीमों में नहीं था जिसके कारण हम बड़े टूर्नामेंटों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते थे।” पूर्व गोलकीपर ने कहा, “टीम को आगे ले जाने के लिए हमारे पास हमेशा कौशल और अवसर रहे लेकिन अन्य टीमें ओलंपिक तैयारियों में हमसे आगे रहीं। मुझे लगता है कि हमने हमेशा बड़े मौकों को गंवाया।” भरत ने कहा, “लंदन ओलंपिक के बाद पिछले आठ सालों में हमने अपने खेल में काफी सुधार किया है और इसका श्रेय खिलाड़यिों, कोचों और हॉकी इंडिया को जाता है जिन्होंने एथलीटों को बेहतर सुविधा दी। मेरे ख्याल से एक युवा खिलाड़ी के नाते जब राष्ट्रीय टीम को प्रशंसकों और महासंघ से इतना महत्व मिलता है तो यह काफी प्रेरणा देने वाला होता है।” उन्होंने कहा, “युवा भरत कहता था कि मेरा सपना है कि भारत ओलंपिक में पदक हासिल करे लेकिन अभी का भरत टोक्यो ओलंपिक में टीम को पदक जीतते देखना चाहता है। यह सिर्फ हमारा सपना नहीं है बल्कि भरोसा है जो मैंने मौजूदा टीम में गोलकीपर और सहायक कोच के रुप में देखा है।” भरत ने कहा, “मेरे ख्याल से हमारी टीम में फिटनेस के स्तर के साथ मैं जो कौशल देख रहा हूं उससे मुझे लगता है कि हम टीम के मुख्य कोचों के नेतृत्व में ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन कर पदक जीत सकते हैं।”