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नरिंदर बत्रा को भारतीय ओलम्पिक संघ की मान्यता रद्द होने का डर
नई दिल्ली। लगातार अदालती दखलंदाजी से भारतीय ओलम्पिक संघ मुश्किल में नजर आने लगा है। आईओए के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने कहा है कि भारत के ओलम्पिक निकाय और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के बीच अगर ऐसे ही दिन-प्रतिदिन के मामले को लेकर कोर्ट के चक्कर लगाते रहें तो देश में खेल प्रशासन को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बत्रा का बयान दिल्ली उच्च न्यायालय के उस निर्देश के बाद आया है, जिसके आदेश पर खेल मंत्रालय ने 54 राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को दी गई वार्षिक मान्यता गुरुवार को वापस ले ली थी।
बत्रा का कहना है कि “मैं समझता हूं कि शिविरों के लिए सभी फंडिंग रोक दी गई हैं क्योंकि हर चीज के लिए अदालत से अनुमति लेनी पड़ती है। अब अगर दिन-प्रतिदिन की अनुमति के लिए अदालत के चक्कर लगाने पड़े तो यह एक गंभीर समस्या है। दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर खेल मंत्रालय ने 54 राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को दी गई वार्षिक मान्यता गुरुवार को वापस ले ली थी। अदालत ने बुधवार को मंत्रालय को आदेश दिया था कि वह अस्थायी मान्यता को वापस ले जो उसने 11 मई को 54 एनएसएफ को दी थी। अदालत ने साथ ही कहा कि मंत्रालय ने सात फरवरी के उसके आदेश का पालन नहीं किया। बत्रा ने कहा, “हम भाग्यशाली हैं कि अभी हमारे पास अगले तीन-चार महीनों में कोई भी टूर्नामेंट नहीं है। यदि कोई एथलीट किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आता है और यदि इसके लिए अदालत से अनुमति लेनी पड़ती है और इसमें देरी हो जाती। ऐसे में एथलीट या टीम को दो साल के प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा और फिर वे इसमें भाग नहीं ले पाएंगे।” आईओए अध्यक्ष इस बात से भी चिंतित हैं कि इससे राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के रूप में भारत का अपना दर्जा निलम्बित हो सकता है। उन्होंने कहा, “इससे मान्यता रद्द भी हो सकती है। यदि कोई एनएसएफ अपने अंतरराष्ट्रीय महासंघ से कहता है कि हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आईओए कोई अनुमति नहीं दे रहा है। तब आईओए कहेगा कि हमें अदालत से इजाजत लेना होगा। ऐसे में मंत्रालय खेल निकायों के स्वायत्त कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप हो सकता है और हम निलम्बित हो जाएंगे।” बत्रा ने साथ ही कहा, “भारत के नागरिक के रूप में हमें न्यायालय के आदेशों का पालन करना होगा और हम ऐसा करेंगे।”