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भारतीय रक्षापंक्ति मजबूत, फारवर्डों को डी में बनाने होंगे अवसर
श्रीप्रकाश शुक्ला
भारतीय हॉकी टीम अगले साल टोक्यो (जापान) में होने वाले ओलम्पिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन करेगी क्योंकि हमारी रक्षापंक्ति बहुत मजबूत है तथा हमारे फारवर्ड भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय टीम धीरे-धीरे दुनिया की सबसे खतरनाक टीमों में शुमार होती जा रही है। यह कहना है भारत के पूर्व सेण्टर फारवर्ड और राष्ट्रीय पुरुष हॉकी टीम के सहायक प्रशिक्षक शिवेन्द्र सिंह चौधरी का। शिवेन्द्र सिंह ने दूरभाष पर हुई विशेष बातचीत में बताया कि भारतीय खिलाड़ियों ने इस साल के शुरू में भुवनेश्वर में मजबूत टीमों के खिलाफ जिस तरह की हॉकी खेली है उससे उम्मीद बंधी है कि हम टोक्यो ओलम्पिक में पदक की दौड़ में शामिल होंगे।
अपने समय में दुनिया के शानदार हमलावरों में शुमार रहे शिवेन्द्र सिंह का कहना है कि आज के समय में हम किसी भी टीम के खिलाफ रिस्क नहीं ले सकते। खिलाड़ियों को हर मुकाबले में स्थिर दिमाग के साथ आक्रामक खेल खेलने का दबाव होता है। आज की हॉकी में बहुत बदलाव आ चुका है। आधुनिक हॉकी में खिलाड़ियों का मैदान में हर पल चौकस रहते हुए अधिक से अधिक गोल के अवसर बनाना जरूरी है। शिवेन्द्र सिंह चौधरी पिछले 15 माह से भारतीय पुरुष हॉकी टीम में बतौर सहायक प्रशिक्षक अग्रिम पंक्ति के खिलाड़ियों का कौशल निखार रहे हैं।
शिवेन्द्र सिंह वर्तमान हॉकी में आए बदलाव से न केवल परिचित हैं बल्कि भारतीय टीम के कई खिलाड़ी इनके साथ खेले भी हैं। शिवा उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। वह ग्वांग्झू एशियाई खेल 2010 में कांस्य पदक जीतने वाली टीम में भी शामिल थे। उनके रहते भारतीय टीम ने 2007 में एशिया कप और 2010 में सुल्तान अजलन शाह कप में स्वर्ण पदक जीता था। शिवेन्द्र सिंह का कहना है कि टीम के मुख्य प्रशिक्षक ग्राहम रीड को भारतीय खिलाड़ियों की आक्रामकता पसंद है। ग्राहम रीड एक बेहद सफल खिलाड़ी रहे हैं तथा उन्हें कोचिंग का भी बहुत अच्छा अनुभव है। शिवा का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैण्ड की राष्ट्रीय टीमों के साथ काम कर चुके रीड का अनुभव तथा विशेषज्ञता भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए टोक्यो ओलम्पिक में अपेक्षित सफलता हासिल करने में काफी मददगार साबित होगी।
विदेशी प्रशिक्षकों के साथ खिलाड़ियों की भाषाई समस्या पर शिवा का कहना है कि भारतीय खिलाड़ी लगभग एक दशक से विदेशी प्रशिक्षकों के साथ रह रहे हैं लिहाजा समस्या जैसी कोई बात नहीं है। खिलाड़ी से प्रशिक्षक बनने के अपने अनुभव पर शिवेन्द्र सिंह ने कहा कि शुरू के कुछ दिनों तक मैंने अपने आपको असहज महसूस किया क्योंकि शिविर में कई ऐसे खिलाड़ी थे जिनके साथ मैं खेला हूं। अब मुझे कोई दिक्कत नहीं है। कोरोना संक्रमण पर शिवा ने कहा कि खेल की दृष्टि से खिलाड़ियों के लिए पिछले तीन महीने काफी परेशानी भरे रहे हैं। खिलाड़ियों को अभ्यास का बिल्कुल भी मौका नहीं मिला है, भविष्य के बारे में भी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। शिवा कहते हैं कि हॉकी के खेल में किसी टीम के इतिहास की तुलना भारत से नहीं की जा सकती। मुझे भारतीय टीम की तेज और आक्रामक हॉकी पसंद है। मैं हॉकी इंडिया के साथ काम करने को लेकर काफी उत्साहित हूं।
हॉकी में अलग-अलग पोजीशन के प्रशिक्षकों का टीम को कितना लाभ होगा? इस प्रश्न के जवाब में शिवेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि खेल कोई भी हो, हर पोजीशन के लिए अलग-अलग प्रशिक्षक होने से खिलाड़ियों को सबसे बड़ा लाभ उनके खेल में फिनिशिंग और क्लियरिटी आने के रूप में मिलता है। जिसका लाभ टीम के प्रदर्शन में देखने को मिलता है। शिवा कहते हैं कि क्रिकेट और फुटबॉल में तो पहले से ही इस तरह की व्यवस्था है। शिवा ने कहा कि हर पोजीशन के प्रशिक्षक होने से मुख्य प्रशिक्षक को भी काफी मदद मिलती है। उस पर एक साथ ट्रेनिंग का लोड नहीं पड़ता। हमारे समय में ऐसी व्यवस्था कम थी। शिवेन्द्र सिंह इस व्यवस्था के लिए हॉकी इंडिया का आभार मानते हुए कहते हैं कि इसका लाभ भारतीय टीम को जरूर मिलेगा।
भारतीय टीम के मजबूत और कमजोर पक्ष पर बात करते हुए शिवा ने कहा कि हमारा डिफेंस काफी मजबूत है, हमें फारवर्ड लाइन पर काम करने की जरूरत है। हमारे हमलावरों को डी के पास पहुंच कर अधिक से अधिक अवसर बनाना समयानुकूल होगा। शिवा कहते हैं कि आज की हॉकी में स्ट्राइकर का काम सिर्फ गोल करना ही नहीं बल्कि पेनाल्टी कार्नर बनाने का भी होता है। इसके अलावा इनका रोल रक्षापंक्ति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। शिवा कहते हैं कि आज की हॉकी में फॉरवर्डों को गोल दागने के अलावा विपक्षी टीम को गोल करने से रोकने में भी अहम भूमिका निभानी होती है।
भारतीय टीम के विषम और दबाव की परिस्थितियों में बिखरने की आदत पर शिवा ने कहा कि खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद लेना फायदेमंद होता है। वर्तमान समय के खेल में हर खिलाड़ी का मानसिक तौर पर स्थिर तथा हर तरह के दबाव से पार पाने के लिए मजबूत होना जरूरी है। शिवा ने कहा कि जब भी कोरोना संक्रमण के बाद स्थितियां सामान्य होंगी भारतीय टीम में बदलाव करने की बजाय खिलाड़ियों की फिटनेस तथा उनकी मानसिक स्थिति पर ही विशेष फोकस किया जाएगा। शिवा का कहना है कि प्रशिक्षक दल को भारतीय टीम का अतीत पता है। प्रशिक्षकों का दल भारत के गौरवशाली इतिहास को वापस लाने के जुनून के साथ ही काम कर रहा है। शिवेन्द्र सिंह कहते हैं कि एक भारतीय होने के नाते मैं भी चाहता हूं कि हमारी हॉकी फिर से शीर्ष पर पहुंचे। मैं इस दिशा पर बराबर ध्यान केन्द्रित कर रहा हूं।