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कुश्ती और पावरलिफ्टिंग में जमाई धाक
अब बच्चों को दे रहे निःशुल्क प्रशिक्षण
खेलपथ प्रतिनिधि
कानपुर। समाज में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें शोहरत की जगह सिर्फ अपने लक्ष्य व काम के प्रति चिन्ता और लगन होती है। अपने समय में कुश्ती तथा पावरलिफ्टिंग में राज्य और राष्ट्रीयस्तर पर अपनी शक्ति का शानदार आगाज करने वाले कानपुर के योगा शिक्षक दुर्गेश पाठक का ऐसे ही लोगों में शुमार है। स्वस्थ समाज का सपना देखने वाला श्रीराम अखाड़े का यह सरताज फिलवक्त बच्चों को पावरलिफ्टिंग का निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहा है।
दुर्गेश पाठक की जहां तक बात है इन्होंने बचपन से ही खेलों को अपना पैशन बना लिया था। इन्हें कुश्ती और पावरलिफ्टिंग से लगाव रहा। दोनों ही विधाओं में दुर्गेश पाठक जमकर खेले और अपने शानदार प्रदर्शन से इन्होंने राज्य व राष्ट्रीयस्तर पर कानपुर को कई दफा गौरवान्वित भी किया। इस समय श्री पाठक स्वराज इंडिया पब्लिक स्कूल में योगा टीचर तो रीजेंसी हास्पिटल (परेड) में फिटनेस कंसल्टेंट के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
डी.बी.एस. कालेज से स्नातकोत्तर दुर्गेश पाठक योगा की सम्पूर्ण तालीम हासिल करने के बाद इन दिनों नई पीढ़ी को स्वस्थ रहने के निःशुल्क गुर सिखा रहे हैं। श्री पाठक कानून की पढ़ाई करने के बाद चाहते तो वकालत के क्षेत्र में भी अपना करियर बना सकते थे लेकिन इन्हें खेलों से बेशुमार मोहब्बत होने के चलते यह अपना अधिक से अधिक समय प्रतिभाओं के बीच ही बिताते हैं। श्री पाठक ने अपना अंतिम पावरलिफ्टिंग मुकाबला 2018 में खेला था। 2002 से 2011 तक इन्होंने कुश्ती और पावरलिफ्टिंग में दर्जनों मेडल जीते।
श्री पाठक कानपुर के श्रीराम अखाड़ा की शान हैं। वह यहां नई पीढ़ी को पावरलिफ्टिंग का निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। इनके प्रयासों से इस खेल में श्रीराम अखाड़ा 2018 और 2019 में चैम्पियन भी बन चुका है। श्री पाठक से प्रशिक्षण हासिल 12 बच्चे नेशनल तो सात बच्चे राज्यस्तर पर अपनी शक्ति का जलवा दिखा चुके हैं। दुर्गेश पाठक के जोश और जुनून तथा बच्चों के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए सांसद पुत्र अनूप पचौरी श्रीराम अखाड़े को पावरलिफ्टिंग प्रैक्टिस के लिए काफी सामान दे चुके हैं। दुर्गेश पाठक कहते हैं कि श्री पचौरी का श्रीराम अखाड़े के बच्चों को काफी सहयोग और स्नेह मिलता रहता है। श्री पाठक का मानना है कि कानपुर में हर खेल की प्रतिभाएं हैं लेकिन यहां खेलों और खिलाड़ियों को सहयोग और प्रोत्साहन देने वाले लोग कम हैं।