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नई दिल्ली। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व सहायक कोच रमेश परमेश्वरण ने हॉकी कर्नाटक के जरिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए आवेदन किया है। 1978 में एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे परमेश्वरण ने कहा कि इस पुरस्कार के लिए आवदेन करने के बारे में उन्होंने नहीं सोचा था। परमेश्वरण के मार्गदर्शन में कई सालों तक खेलने वाले आशीष बल्लाल ने पूर्व कोच से आवदेन करने के बारे में बात की। परेमेश्वरण के कोचिंग के समय खेलने वाले पूर्व गोलकीपर एबी सुबैया इस समय कर्नाटक हॉकी के महासचिव हैं। परमेश्वरण ने सुबैया से इस संबंध में संपर्क किया। सुबैया ने कहा, “उन्होंने कर्नाटक हॉकी और भारतीय हॉकी को बहुत कुछ दिया है। मैंने अपने शुरुआती खेल के दिनों से ही देखा है कि उनकी कोचिंग युवाओं के आसपास रही है। इसलिए हमने सोचा कि उनके नाम की सिफारिश की जानी चाहिए।” परमेश्वरण ने 1985 में कर्नाटक की टीम के साथ अपने कोचिंग की शुरुआत की थी। बाद में वह 1995 में भारतीय टीम के सहायक कोच बने थे और फिर वह 2008 तक इस पद पर रहे। परमेश्वरण ने कहा, “यह मेरे लिए शानदार रहा है। मेरे सभी छात्रों और दोस्तों ने कहा कि आप क्यों नहीं आवदेन करते। इसलिए मैंने किया। अगर आप मुझसे निजी रूप से पूछें तो इसके लिए मैं अपने परिवार का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा। उन्होंने बहुत त्याग किए हैं। इस दौरान मेरे जीवन में भी उतार-चढ़ाव आए, हार-जीत मिली लेकिन कुल मिलाकर मेरे पास ऐसा अनुभव है जिस पर मैं गर्व कर सकता हूं। ” भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) जैसे संस्थानों से औपचारिक प्रशिक्षण के बिना खुद सीखे हुए कोचों में से एक परमेश्वरण ने कहा, “मैंने इस खेल में काफी त्याग देने के अलावा समय,धन और ऊर्जा लगाया है और अंत में यह फलदायक रहा।” रमेश ने हॉकी खेलने की शुरुआत 1969 में शुरू की थी जब उन्हें जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में मैसूर का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला था। उन्हें भारतीय टीम में 1978 में खेलने का मौका मिला और उन्होंने बैंकाक में एशियाई खेलों में रजत पदक जीता था। परमेश्वरण 2015 से कर्नाटक हॉकी अकादमी में कोच हैं जहां वह युवा खिलाड़ियों को तराश रहे हैं। परमेश्वरन के द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए आवेदन को 1980 की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान वासुदेवन भास्करन, बीपी गोविंदा, पूर्व भारतीय कप्तान एमपी गणेश, पूर्व राष्ट्रीय कोच एमके कौशिक, दिलीप टिर्की, आशीष बलाल और ए बी सुबैया आदि का समर्थन प्राप्त है।