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उत्तर प्रदेश अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों ने खटखटाया खेल मंत्रालय का दरवाजा
खेलपथ प्रतिनिधि
लखनऊ। उत्तर प्रदेश अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। इनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। 25 मार्च से बेरोजगार बैठे इन प्रशिक्षकों को तीन माह से फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है ऐसे में इन्होंने खेल मंत्री, प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन, खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश तथा प्रमुख समाचार-पत्रों को पत्र प्रेषित कर अपनी आपबीती सुनाई है। उत्तर प्रदेश सरकार को इन अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की पीड़ा को तत्काल संज्ञान में लेते हुए इन्हें पुनः नौकरी पर रखना चाहिए।
ज्ञातव्य है कि कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्योगपतियों से किसी को भी नौकरी से न निकालने का आग्रह किया था लेकिन खेल मंत्रालय ने 25 मार्च को प्रदेश के सभी अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। नियमतः इन अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की सेवाएं पहली अप्रैल को ही बहाल हो जानी थीं लेकिन लाकडाउन और कोरोना संक्रमण के चलते इनकी तरफ किसी ने भी ध्यान देना उचित नहीं समझा। देखा जाए तो इन अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों को सेवा में लेने से पहले उनसे एक बांड भराया जाता है जिसमें उन्हें यह लिखकर देना होता है कि जब तक खेल प्रशिक्षण शिविर चलेंगे तब तक वे दूसरी जगह नौकरी नहीं करेंगे। इसी नियम के तहत कोई भी प्रशिक्षक खेल विभाग की बजाय दूसरी जगह नौकरी नहीं करता। खेल मंत्रालय के इसी नियम के परिपालन में बीते तीन माह से उत्तर प्रदेश के अंशकालिक खेल प्रशिक्षक बेकार बैठे हैं। माना कि प्रदेश भर में खेल गतिविधियां बंद हैं लेकिन इन खेल प्रशिक्षकों की तरफ यदि तत्काल ध्यान न दिया गया तो चार सौ से अधिक परिवारों की स्थिति बहुत ही चिन्ताजनक हो जाएगी।
तीन माह से फूटी कौड़ी भी नसीब न होने से इन प्रशिक्षकों और इनके परिवार के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। यह खेल प्रशिक्षक नौकरी में पुनः रखने की हर किसी से फरियाद कर चुके हैं लेकिन इनकी तरफ किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है। इन प्रशिक्षकों ने प्रेषित पत्र में साफ-साफ लिखा है कि यदि शीघ्र ही उनकी इस पीड़ा की तरफ ध्यान न दिया गया तो वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश के अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों की स्थिति वाकई काफी दयनीय हो गई है ऐसे में उत्तर प्रदेश खेल मंत्रालय को तत्काल इन्हें सेवा में लेकर सैकड़ों परिवारों को राहत प्रदान करनी चाहिए। ज्ञातव्य है कि खेल मंत्रालय द्वारा 25 मार्च को चार सौ से अधिक अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों को सेवा से पृथक कर दिया गया था और उनकी बहाली अभी तक नहीं हुई है।