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विराट कोहली से तुलना पर बोले जावेद मियांदाद
नई दिल्ली। 1987 में जब सुनील गावस्कर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया तो एक फैन्स को लगा कि वह अपना रोल मॉड्ल खो देगा, अब उसे कौन प्रेरित करेगा। कुछ साल तक यह डर लोगों के बीच बना रहा, लेकिन इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने दो साल बाद 1989 में क्रिकेट में कदम रखा और देखते ही देखते उनकी उपस्थिति क्रिकेट जगत में महसूस की जाने लगा। 90 के दशक में उन्हें शानदार स्ट्रोक प्ले खेलने वाला खिलाड़ी माना जाने लगा। 2013 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। एक बार फिर वही डर उभर आया, जो गावस्कर के रिटायर होने के बाद पैदा हुआ था। लेकिन तब तक विराट कोहली का बढ़ना हो चुका था।
स्वाभाविक रूप से गावस्कर की तुलना सचिन से होती रही और सचिन की तुलना कोहली से। उन्हें अगला सचिन तेंदुलकर कहा गया। कहा गया कि विराट कोहली ही वह खिलाड़ी हैं, जो सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड्स को तोड़ेंगे। हालांकि पाकिस्तान के लीजेंड जावेद मियांदाद का विश्वास है कि अलग-अलग पीढ़ियों के खिलाड़ियों की तुलना बेमानी है।
हाल ही में यूट्यूब चैनल पर पाकिस्तान के पूर्व बल्लेबाज आमिर सोहेल ने कहा था कि कोहली और मियांदाद ने किस तरह अपना खेल उठाया है। उन्होंने विराट और मियांदाद की तुलना की, लेकिन मियांदाद ने कहा कि आधुनिक क्रिकेट में आज के खिलाड़ियों की मेरी पीढ़ी के खिलाड़ियों से तुलना मुश्किल है, क्योंकि वह उस समय खेले जब रन बनाना आसान नहीं था।
उन्होंने कहा, ''दूसरा सुनील गावस्कर या सचिन तेंदुलकर मिलना बहुत मुश्किल है। मियांदाद ने 124 टेस्ट और 233 वनडे खेले। उनका करियर दो दशक तक फैला है। उन्होंने टेस्ट में 52.57 की औसत से 8832 और वनडे में 41.70 की औसत से 7381 रन बनाए। मियांदाद ने कहा, ''उन्होंने मेल्कम मार्शल, रिचर्ड हेडली, डेनिस लिली, जेफ थॉम्सन जैसे गेंदबाजों को फास्ट ट्रेक पर खेला है।''
उन्होंने कहा, ''हमारे समय में क्रिकेट मुश्किल था। हमें मार्शल, हेडली, लिली और थॉम्सन जैसे गेंदबाजों का सामना करना पड़ता था। उनके पास गति थी और वे बाउंसी विकेट पर गेंदबाजी करते थे। आपको परिस्थितियों से तालमेल बिठाना पड़ता है। मौजूदा बल्लेबाजों- विराट कोहली, स्टीव स्मिथ, केन विलियमसन, जो रूट और बाबर आजम की तुलना करना भी उन्हें उचित नहीं लगता।''
मियांदाद ने कहा, ''अब विकेट की प्रकृति और परिस्थितियां बदल चुकी हैं। आप विराट, स्मिथ या बाबर की तुलना नहीं कर सकते। सब अच्छे हैं, लेकिन फिर भी इनमें क्वॉलिटी का फर्क है। जो कंसीस्टेंटली अलग-अलग परिस्थितियों में परफॉर्म करता है वह महान है।'' पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और प्रमुख कोच ने हालांकि विराट कोहली की तीनों फॉर्मैट में निरंतरता की जमकर तारीफ की। कोहली की औसत टेस्ट, वनडे और टी-20 में 50 से ऊपर है।