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एथलेटिक्स और योग में इनका नहीं कोई जवाब
मनीषा शुक्ला
कानपुर। जिस उम्र में प्रायः लोग शारीरिक गतिविधियों को विराम देकर घर बैठ जाते हैं उस उम्र में वाराणसी की जांबाज दीपा गुत्ता खेल और योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मादरेवतन का मान बढ़ा रही हैं। यह सब दीपा गुप्ता के जोश-जुनून और इनकी कड़ी मेहनत व प्रबल इच्छाशक्ति का ही सूचक है।
दीपा गुप्ता के अतीत को देखें तो मानो यह खेलों के लिए ही पैदा हुई हों। देश को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बेटियां देने वाले कानपुर के कान्यकुब्ज कन्या इंटर कालेज (के.के. कालेज) की छात्रा रहीं दीपा गुप्ता ने अपने शिक्षणेत्तरकाल में भी खेलों में खूब धूम मचाई थी। इन्होंने खेलों की शुरुआत 1979-80 में के.के. कालेज से ही की। 1980 से 1984 तक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर इन्होंने कबड्डी, हाकी, एथलेटिक्स, हैण्डबाल और बास्केटबाल में 50 से अधिक मेडल जीतकर अपने कालेज और कानपुर का नाम रोशन किया था। 1985 में विवाहोपरांत इनका खेलों से एक तरह से रिश्ता ही टूट गया लेकिन 30 साल बाद 2015 में इन्होंने पुनः खेलों में दमखम दिखाने का निश्चय कर लिया।
दीपा गुप्ता के इन निर्णय पर लोगों को हैरत भी हुई लेकिन अपनी धुन की पक्की इस जांबाज खिलाड़ी ने पांच साल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता की जो नई पटकथा लिखी है वह हर किसी के लिए उदाहरण है। दीपा गुप्ता ने 2017 कानपुर, 2018 वाराणसी और 2019 में अलीगढ़ में हुई उत्तर प्रदेश मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं की हैमरथ्रो, शाटपुट और डिस्कस थ्रो स्पर्धाओं में स्वर्णिम सफलताएं हासिल कर यह दिखा दिया कि वह फौलाद की बनी हैं।
रियल स्टेट के क्षेत्र में दखल रखने वाली दीपा गुप्ता की शानदार सफलताओं को देखते हुए उन्हें 2018 में मास्टर्स एथलेटिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। मलेशिया के पेनांग शहर में आयोजित एशिया पैसिफिक मास्टर्स गेम्स में दीपा गुप्ता ने 50 साल से अधिक आयुवर्ग की हैमरथ्रो स्पर्धा में स्वर्ण पदक, चार गुणा चार सौ मीटर रिले रेस में रजत तथा चार गुणा 100 मीटर रिले रेस में कांस्य पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया। इसी साल इन्होंने चण्डीगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स स्पर्धा में भी स्वर्णिम सफलता हासिल की थी।
पिछले पांच साल में दर्जनों पदक जीतकर वाराणसी का नाम रोशन करने वाली दीपा गुप्ता एथलेटिक्स के साथ-साथ योग के क्षेत्र में भी बराबर दखल रखती हैं। दीपा स्टेट मास्टर योगा चैम्पियनशिप में भी दो स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 45 वर्ष के आयुवर्ग में इन्होंने योगा सोलो आर्टिस्ट्री और सोलो योगा में स्वर्णिम सफलताएं हासिल की हैं। खेलपथ से बातचीत करते हुए दीपा गुप्ता कहती हैं कि पांच साल पहले उन्होंने खेलों में पुनः उतरने का जो निर्णय लिया था वह मेरे लिए काफी उत्साहवर्धक है। मैं खेलपथ के माध्यम से जनमानस को यह संदेश देना चाहती हूं कि हर इंसान को खेलों के लिए कुछ न कुछ वक्त जरूर निकालना चाहिए। खेलों से जुड़कर ही हम स्वस्थ राष्ट्र के संकल्प को पूरा कर सकते हैं।