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हॉकी में एक युग का अंत
चण्डीगढ़। हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में से एक 3 बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को निधन हो गया। वह पिछले दो सप्ताह से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 96 वर्षीय बलबीर के परिवार में बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर हैं। उनके बेटे कनाडा में हैं और वह यहां अपनी बेटी सुशबीर और नाती कबीर सिंह भोमिया के साथ रहते थे। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के निदेशक अभिजीत सिंह ने बताया,‘उनका सुबह 06.17 पर निधन हुआ।’ बाद में उनके नाती कबीर ने एक संदेश में कहा,‘नानाजी का सुबह निधन हो गया।’ बलबीर सीनियर का शाम 5 बजकर 30 मिनट पर चंडीगढ़ के सेक्टर-25 स्थित विद्युत शवदाह गृह में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 8 मई से थे अस्पताल में भर्ती बलबीर सीनियर को 8 मई को वहां भर्ती कराया गया था। वह 18 मई से अर्ध चेतन अवस्था में थे और उनके दिमाग में खून का थक्का जम गया था। उन्हें फेफड़ों में निमोनिया और तेज बुखार के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका कोविड-19 के लिये परीक्षण किया गया था लेकिन उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी। उपचार के दौरान उन्हें तीन बार दिल का दौरा भी पड़ा था। पिछले 2 साल में चौथी बार उन्हें अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया । पिछले साल जनवरी में वह फेफड़ों में निमोनिया के कारण तीन महीने अस्पताल में रहे थे । हेलसिंकी ओलंपिक (1952) फाइनल में 5 गोल का रिकार्ड आज भी कायम देश के महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सीनियर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे। हेलसिंकी ओलंपिक (1952) फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का उनका रिकार्ड आज भी कायम है। 3 ओलंपिक गोल्ड किये थे अपने नाम बलबीर सीनियर ने लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते थे । वह 1975 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर भी थे। कौशल के मामले में मेजर ध्यानचंद के समकक्ष कहे जाने वाले बलबीर सीनियर आजाद भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से थे। वह और ध्यानचंद भले ही कभी साथ नहीं खेले लेकिन भारतीय हाकी के ऐसे अनमोल नगीने थे जिन्होंने पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया 1957 में पद्मश्री सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी उन्हें 1957 में पद्मश्री से नवाजा गया था और यह सम्मान पाने वाले वह पहले खिलाड़ी थे। पंजाब के हरिपुर खालसा गांव में 1924 में जन्मे बलबीर को भारत रत्न देने की मांग लंबे अर्से से की जा रही थी। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने तो इसके लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा। पंजाब सरकार ने खेलों में योगदान के लिये पिछले साल उन्हें महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया था।