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इनके परिवार का हर सदस्य तैराक
मनीषा शुक्ला
कानपुर। तैराकी ही एक ऐसा खेल है जिससे इंसान के सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम हो जाता है। भारत इस खेल में बेशक बहुत ताकतवर न हो लेकिन कानपुर के नजरिए से देखें तो यहां एक ऐसा परिवार है जिसका हर सदस्य तरणताल को समर्पित है। इस परिवार ने देश को एक से बढ़कर एक तैराक दिए हैं। इसी परिवार की सदस्य शैलजा शुक्ला आज कानपुर में तैराकी को नया जीवन दे रही हैं। शैलजा शुक्ला अपने समय की बेहतरीन तैराक भी रही हैं।
शैलजा शुक्ला को तरणताल से ही मोहब्बत है। यह 1974 से 1985 तक कानपुर ही नहीं उत्तर प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ तैराकों में शुमार थीं। इन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश की तरफ से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व करते हुए कई पदक अपने नाम किए थे। शैलजा ने प्रारम्भिक शिक्षा एस.एन. सेन बालिका विद्यालय तो उच्च शिक्षा जुहारी देवी गर्ल्स कॉलेज से हासिल की। चूंकि शैलजा शानदार तैराक थीं सो इन्होंने खेल के क्षेत्र में ही करियर संवारने का संकल्प किया। इन्होंने बीपीएड एमजीजी यूनिवर्सिटी, सतना (मध्य प्रदेश) से किया तो तैराकी के गुर इन्होंने अपने बड़े भाइयों और बहन से सीखे। शैलजा को तैराकी का खेल विरासत में मिला है। इनके भाई और बहन की तैराकी के क्षेत्र में कानपुर नगर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तूती बोलती थी।
खेलों को पूरी तरह से समर्पित शैलजा शुक्ला बताती हैं कि मैं एक ऐसे परिवार से सम्बन्ध रखती हूं जिसमें लगभग 150 सदस्य हैं और सभी तैराकी से सम्बन्ध रखते हैं। मुझे तैराकी में लाने का श्रेय मेरे पिता श्रीकृष्ण अवस्थी (स्वर्गीय) और मेरे ताऊ रामेश्वर अवस्थी (स्वर्गीय) को जाता है। इन्होंने हर पल मुझे प्रोत्साहित किया। मेरे पिता और ताऊ ने कानपुर में तैराकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी। इनके प्रयासों से कानपुर नगर से अनेकों तैराक निकले जिन्होंने अपने कौशल से उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया। मुझे खुशी है कि मेरा परिवार तैराकी के क्षेत्र में कानपुर की प्रेरणा बना।
शैलजा बताती हैं कि मैंने तैराकी उस समय शुरू की जब लड़कियों को लोग किसी भी खेल में भेजने की अनुमति नहीं देते थे। खेलों की दृष्टि से वह दौर लड़कियों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। शैलजा शुक्ला 1990 से एयर फोर्स स्कूल, चकेरी में छात्र-छात्राओं को तैराकी के साथ अन्य खेलों के गुर सिखा रही हैं। वर्तमान समय में यह स्कूल की हेड स्पोर्ट्स टीचर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। खेल के क्षेत्र में शानदार उपलब्धियों और सेवाओं को देखते हुए इन्हें स्कूल की तरफ से श्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान भी प्राप्त हो चुका है। इनके द्वारा प्रशिक्षित अनेकों छात्र खेल के क्षेत्र में अपने शानदार प्रदर्शन से कानपुर को गौरवान्वित कर रहे हैं। शैलजा शुक्ला कहती हैं कि मेरी इच्छा है कि मैं अपना सम्पूर्ण जीवन सिर्फ खेलों के लिए जियूं और राष्ट्र को ऐसी प्रतिभाएं दूं जोकि अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में मादरेवतन का मान बढ़ाएं।