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नायाब खेल शख्सियतों का शहर है कानपुर
नूतन शुक्ला
कानपुर। खेलों और खिलाड़ियों की वही शख्स सेवा कर सकता है जिसने खेलों के लिए पसीना बहाया हो। कानपुर में एक से बढ़कर एक खेल शख्सियतें हुई हैं जिन्होंने खेल की उम्र में अपने कौशल से खेलप्रेमियों का दिल जीता तो खेलों से संन्यास के बाद युवा पीढ़ी को अपने अनुभवों का हर पल लाभ देना अपना दायित्व समझा है। ऐसी ही खेल शख्सियत हैं अपने जमाने के मशहूर जम्पर बसंत प्रकाश सक्सेना जी।
बसंत प्रकाश सक्सेना कानपुर में खेलों की जानी-पहचानी शख्सित हैं। इन्होंने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर लम्बीकूद, ऊंचीकूद और त्रिपल जम्प में दर्जनों मेडल जीतकर खेलों में कानपुर का नाम रोशन किया है। श्री सक्सेना आजकल युवा तरुणाई को प्रशिक्षण देने के साथ ही एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में बतौर निर्णायक अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। बसंत प्रकाश सक्सेना के प्रतिस्पर्धी खेल करियर पर नजर डालें तो इन्होंने 1982-83 में कानपुर जिला ओलम्पिक संघ की मेजबानी में आयोजित जूनियर एथलेटिक्स प्रतियोगिता से आगाज किया था। इसी साल इन्होंने बोर्ड जम्प में 5.49 मीटर तो ऊंचीकूद में 1.62 दो मीटर की छलांग लगाकर स्वर्णिम सफलता हासिल की थी। श्री सक्सेना खेलने के साथ ही एथलेटिक्स की बारीकियां सीखने में भी हमेशा दिलचस्पी लेते रहे हैं। श्री सक्सेना ने 14 मई से 13 जून, 1984 तक मेरठ में हुए एक माह के एथलेटिक्स कोचिंग कैम्प में सहभागिता करने के बाद ए क्लास हासिल किया था।
श्री सक्सेना ने उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन द्वारा 1984 में वाराणसी में आयोजित जूनियर बालक वर्ग की लम्बीकूद में 6.08 मीटर की जम्प के साथ प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया था। इसी तरह 1984-85 में रीजनल स्पोर्ट्स इलाहाबाद मंडल की एथलेटिक्स स्पर्धा की लम्बीकूद में 6.44 मीटर की छलांग के साथ स्वर्ण पदक जीतकर कानपुर को गौरवान्वित किया। इसी साल इन्होंने कानपुर ओपन डिस्ट्रिक्ट एथलेटिक्स की लम्बीकूद में 6.53 मीटर तो ऊंचीकूद में 1.75 मीटर की जम्प लगाकर दूसरा स्थान हासिल किया। श्री सक्सेना ने 1985-86 में कानपुर यूनिवर्सिटी की एथलेटिक्स मीट की लम्बीकूद और त्रिपल जम्प में रजत पदक तो ऊंचीकूद में स्वर्णिम सफलता हासिल की थी।
खेलों में रुचि रखने वाला कानपुर का हर व्यक्ति बसंत प्रकाश सक्सेना की उपलब्धियों और खेल के क्षेत्र में इनके योगदान का कायल है। श्री सक्सेना नई पीढ़ी को एथलेटिक्स के क्षेत्र में कुछ न कुछ देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। खेलों में बेजोड़ प्रदर्शन को देखते हुए ही इन्हें खेल कोटे से ओईएफ में सेवा का अवसर मिला है। खेलों को समर्पित श्री सक्सेना का कहना है कि एथलेटिक्स में जो काम मैं नहीं कर पाया उसे मैं युवा पीढ़ी से करवाने की सोच रखता हूं। मैं चाहता हूं कि कानपुर की युवा पीढ़ी एथलेटिक्स में प्रदेश ही नहीं देश का नाम रोशन करे। श्री सक्सेना का मानना है कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, यदि कम उम्र बच्चों की तलाश कर उन्हें बेहतर ट्रेनिंग और सुविधाएं मिलें तो भारत भी विश्वस्तर पर खेलों की महाशक्ति बन सकता है।