News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
टारगेट ओलम्पिक पोडियम योजना का हिस्सा नहीं है गरीब की यह बेटी
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। एक गरीब परिवार के बच्चे के लिए खिलाड़ी बनना आसान बात नहीं है। भारतीय खेलतंत्र और खेलों से जुड़े अलम्बरदार बेशक बड़ी-बड़ी बातें करते हों लेकिन इनकी कथनी-करनी के अंतर को सिर्फ भुक्तभोगी ही समझ सकता है। देश की सबसे तेज महिला धावक दुती चंद की पीड़ा में भारतीय खेलनहारों की मंशा को आसानी से समझा जा सकता है। टोक्यो ओलम्पिक की क्वालीफाइंग तैयारियों में 34 लाख रुपये खर्च करने के बाद दुती रुंधे गले से बताती है कि मैं तो बर्बाद हो गई। मेरा ओलम्पिक खेलने का सपना चूर-चूर होता दिख रहा है।
दूरभाष पर हुई बातचीत में दुती ने बताया कि ओलम्पिक की तैयारियों पर खर्च हुआ मेरा पूरा पैसा और समय सब बर्बाद हो गया। ओलम्पिक टलने से अब मुझे नये सिरे से शुरुआत के लिए मदद मिलेगी या नहीं, यह भी तय नहीं है। कोरोना संक्रमण ने एशियाई खेलों की दोहरी रजत पदक विजेता भारत की शीर्ष फर्राटा धावक दुती चंद के अरमानों पर पानी फेर दिया है।
कोरेाना महामारी और उसके बाद दुनिया भर में लागू लॉकडाउन के कारण खेल गतिविधियों में विराम लगने से उड़ीसा की इस एथलीट की तैयारियों के साथ-साथ उसे आर्थिक तौर पर भी झटका लगा है। दुती बताती हैं कि मैं अक्टूबर 2019 से एक टीम बनाकर अभ्यास कर रही थी, जिसमें कोच, सहायक कोच, ट्रेनर, रनिंग पार्टनर समेत 10 सदस्य शामिल थे। इस टीम पर हर महीने साढ़े चार लाख रुपये खर्च हो रहे थे। मैं अब तक 30 लाख रुपये खर्च कर चुकी हूं।
जकार्ता एशियाई खेल 2018 में 100 मीटर की रजत पदक विजेता दुती खेल मंत्रालय की टारगेट ओलम्पिक पोडियम योजना (टॉप्स) का हिस्सा नहीं है। उनका प्रायोजन उड़ीसा सरकार और केआईआईटी कर रहे थे, लेकिन वह टोक्यो ओलम्पिक 2020 तक ही था। ओलम्पिक स्थगित होने के बाद मौजूदा हालात को देखते हुए उसके आगे जारी रहने पर भी मुझे संदेह है।
उड़ीसा माइनिंग कारपोरेशन में कार्यरत इस एथलीट ने कहा,‘मैंने जर्मनी में तीन महीने अभ्यास के लिए हवाई टिकट बुक करा ली थी, जिसका पैसा वापस नहीं मिला। इसके अलावा वहां 20 लाख रुपये अग्रिम दे दिये थे, जो अभी तक वापस नहीं मिले। दुती ने यह भी कहा कि अभ्यास रुकने से उनकी लय भी टूट गई है और अब उन्हें रफ्तार पकड़ने में कम से कम छह महीने लगेंगे। दुती अपनी आपबीती सुनाते-सुनाते बेहद उदास हो जाती है। एक तरफ हमारे खेल मंत्री 2028 ओलम्पिक में भारत के पदक तालिका में शीर्ष 10 देशों में शामिल होने का राग अलाप रहे हैं तो देश के अधिकांश प्रतिभाशाली खिलाड़ी मदद को मोहताज हैं।