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बेंगलूरु। कोरोना वायरस 'कोविड-19' महामारी के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर गरीब और प्रवासी कामगारों की मदद के लिए धन जुटा रही भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर सुशीला चानू ने लोगों के समर्थन के प्रति आभार प्रकट किया है। चानू ने कहा, “भारतीय महिला हॉकी टीम के 1000 लोगों को भोजन का प्रबंध करने की पहल को मिल रहा समर्थन उत्साहजनक है। हमें हॉकी में आगे बढ़ने के दौरान इस देश के लोगों से बहुत प्यार और समर्थन मिला है और टीम ने विचार किया कि लोगों के लिए आगे बढ़कर कुछ करने का यही समय है।”
उन्होंने कहा, “हमें इस बात की खुशी है कि लोग न केवल इस कारण के लिए दान कर रहे हैं, बल्कि वे फिटनेस चैलेंज में भी भाग ले रहे हैं। ऐसे में शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बहुत महत्वपूर्ण है और इस चुनौती के दौरान हमने जो वर्कआउट डिजाइन किए हैं, वे बहुत मुश्किल नहीं हैं और घर के अंदर किए जा सकते हैं।”
गौरतलब है कि चार दिनों में ही टीम सात लाख रुपये से अधिक की धनराशि जुटा चुकी है और क्राउडफंडिंग लॉकडाउन यानी 3 मई 2020 तक जारी रहेगी। उन्होंने लोगों को '20 पुशअप्स और 20 डिप्स' करने की चुनौती दी थी। उन्हें जिन लोगों ने चुनौती दी, उनमें पूनम रानी और लिली चानू मयंगबम शामिल हैं। चानू ने अपने राज्य के साथी खिलाड़ियों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कोठाजीत सिंह और चिंगलेनसाना सिंह को चुनौती दी। उन्होंने मुक्केबाज सरिता देवी को भी इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए कहा।
देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर टीम ने औपचारिक हॉकी प्रशिक्षण को स्थगित कर दिया है और इस समय का बेहतर उपयोग खिलाड़ी अपने खेल और उन क्षेत्रों पर आत्मनिरीक्षण करने के लिए कर रहे जिनमें सुधार की गुंजाइश है।
रियो ओलंपिक 2016 में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाली चानू ने कहा, “मुझे लगता है कि टोक्यो ओलंपिक स्थगित होने की निराशा के बीच हमने सामूहिक रूप से महसूस किया कि यह हमारे लिए अपने ऊपर ध्यान देने का सबसे बेहतर समय है जैसा कि हम पिछले दो साल सुधार करते आये हैं और आगे आने वाले महीनों में भी इस लय को बरकरार रखेंगे।”
चानू ने कहा, “हमारे वैज्ञानिक सलाहकार वायने लोंबार्ड ने शारीरिक अभ्यास का चार्ट बनाया है जिस पर हम अमल कर रहे हैं। भले ही हॉकी का प्रशिक्षण स्थगित हो गया हो लेकिन हम पिछले मैचों के वीडियो देखकर विरोधी टीमों के खेल की समीक्षा कर रहे हैं और इसके लिए हम एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। जिससे पता लग सके कि किस क्षेत्र में सुधार की अधिक आवश्यकता है।”