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तब भी हम निराशा से उबरकर विश्व विजेता बने थे
नई दिल्ली। जब वह क्रीज पर होते थे तो स्टेडियम में चारों तरफ से उनके नाम की गूंज सुनाई देती थी। यही वजह है कि सचिन तेंदुलकर को खाली स्टेडियमों में मैच कराने का विचार निराश कर देता है। कोरोना महामारी के कारण मैच खाली स्टेडियमों में खेलने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन तेंदुलकर ने कहा, ‘खाली स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए निराशाजनक होगा। ऐसे कई मौके आते हैं जब खिलाड़ी दर्शकों की मांग के अनुसार खेलते हैं। अगर बल्लेबाज अच्छा शॉट खेलता है और दर्शक उसकी सराहना करते हैं तो उसे ऊर्जा मिलती है। इसी तरह एक गेंदबाज शानदार स्पेल करता है और दर्शक उस पर तालियां बजाते हैं तो इससे बल्लेबाज पर एक तरह का दबाव बनता है और उसे उससे बाहर निकलना होता है। दर्शक किसी भी खेल के अहम अंग हैं।’