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नयी दिल्ली, (एजेंसी) भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू आजकल सिर्फ एक प्रार्थना करने में लगी हुई हैं कि कोविड-19 महामारी के बावजूद टोक्यो ओलंपिक कार्यक्रम के अनुसार आयोजित हों, वर्ना ओलंपिक पदक जीतने की उनकी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी। पिछले 4 वर्षों से मीराबाई ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने के लिये काफी मेहनत की है लेकिन इस समय सिर्फ वह यही बात सोच सकती है कि 24 जुलाई से नौ अगस्त तक होने वाले टोक्यो खेलों का क्या होगा जिन्हें कोविड-19 के कारण स्थगित किया जा सकता है।
मीराबाई ने कहा, ‘अगर ओलंपिक नहीं हुए तो हमारे पिछले 4 वर्षों की मेहनत बेकार चली जायेगी। मैं नहीं चाहती कि ये रद्द हों, मैं रोज भगवान से प्रार्थना कर रही हूं। मैं बस खुद के लिये एक ओलंपिक पदक चाहती हूं।’ मीराबाई का एकमात्र ओलंपिक अभियान निराशाजनक तरीके से खत्म हुआ था क्योंकि वह क्लीन एवं जर्क वर्ग में अपने तीन प्रयासों में वजन उठाने में असफल रही थीं। कोविड-19 ने पूरी दुनिया के खेलों को बुरी तरह प्रभावित किया है, ज्यादातर टूर्नामेंट या तो रद्द हो गये हैं या फिर उन्हें स्थगित करना पड़ा है। टोक्यो खेलों को कोरोना वायरस के प्रकोप के कम होने तक स्थगित करने की मांग की जा रही है और कई खिलाड़ियों ने ऐसे समय में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की ट्रेनिंग जारी रखने की सलाह की आलोचना भी की है जबकि पूरी दुनिया में सरकार सामाजिक दूरी बनाने की बात कर रही हैं।
मीराबाई ने कहा, ‘अगर ये स्थगित हो गये तो भी काफी समस्या होगी क्योंकि हमारे लिये इतने थोड़े समय में ही काफी कुछ बदल जायेगा।’ भारोत्तोलन का ओलंपिक क्वालीफाइंग कार्यक्रम भी प्रभावित हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) को पांच महाद्वीपीय चैम्पियनशिप को रद्द कर दिया जिसमें एशियाई क्वालीफायर भी शामिल है।