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नयी दिल्ली, (एजेंसी) भारत के महान भारतीय फुटबालरों में से एक पीके बनर्जी 60 के दशक में खिलाड़ी के रूप में चमके और फिर 70 के दशक के बेहतरीन कोच ‘पीके’ या, प्रदीप ‘दा’ ने जो देश की फुटबाल के लिये किया ,उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने खिलाड़ी के रूप में 2 ओलंपिक (मेलबर्न 1956, रोम 1960) और 3 एशियाई खेल (58, 62, 66) में देश का प्रतिनिधित्व किया। खिलाड़ी के रूप में 1962 जकार्ता एशियाई खेलों का स्वर्ण हासिल किया और अपने पहले बड़े टूर्नामेंट में कोच के रूप में 1970 बैंकाक में कांस्य पदक दिलाया। उल्लेखनीय है कि करीब 51 वर्ष तक भारतीय फुटबाल की सेवा करने वाले महान फुटबालर पीके बनर्जी का शुक्रवार को यहां लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया । वह 83 वर्ष के थे। बनर्जी के परिवार में उनकी बेटी पाउला और पूर्णा हैं जो नामचीन शिक्षाविद् हैं ।
उनके छोटा भाई प्रसून बनर्जी तृणमूल कांग्रेस से सांसद है । एशियाई खेल 1962 के स्वर्ण पदक विजेता बनर्जी भारतीय फुटबाल के स्वर्णिम दौर के साक्षी रहे हैं। उन्हें पार्किंसन, दिल की बीमारी और डिम्नेशिया भी था। उन्होंने रात 12 बजकर 40 मिनट पर आखिरी सांस ली । 23 जून, 1936 को जलपाईगुड़ी के बाहरी इलाके स्थित मोयनागुड़ी में जन्मे बनर्जी बंटवारे के बाद जमशेदपुर आ गये। उन्होंने 84 मैच खेलकर 65 गोल किये। जकार्ता एशियाई खेल 1962 में स्वर्ण जीतने वाले बनर्जी ने 1960 रोम ओलंपिक में भारत की कप्तानी की और फ्रांस के खिलाफ 1-1 से ड्रा रहे मैच में बराबरी का गोल किया। इससे पहले वह 1956 की मेलबर्न ओलंपिक टीम में भी थे और क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया पर 4-1 से मिली जीत में अहम भूमिका निभाई। भारत उन खेलों में चौथे स्थान पर था। बनर्जी ने 1967 में फुटबाल को अलविदा कह दिया लेकिन बतौर कोच भी 54 ट्राफी जीती । बनर्जी ने कभी अपने कैरियर में मोहन बागान या ईस्ट बंगाल के लिये नहीं खेला। वह पूरी उम्र पूर्वी रेलवे टीम के सदस्य रहे।