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खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। इस बार खेलो इंडिया के चलते खेल मंत्रालय का खेल बजट लंबी उड़ान भर सकता है। पिछली बार के मुकाबले खेल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से 500 करोड़ रुपये अधिक मांगे हैं। इसकी वजह सिर्फ खेलो इंडिया खेल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी रुचि के चलते खेल मंत्रालय भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है। मंत्रालय ने पिछली बार के500 करोड़ के मुकाबले खेलो इंडिया के लिए वित्त मंत्रालय से 890 करोड़ मांगे हैं। खेलों के लिए 21 सौ करोड़ का बजट मांगा है जबकि यह पिछली बार 1600 करोड़ रुपये था। मंत्रालय को सोलह सौ करोड़ का इस बार बजट कम पड़ गया था जिसके चलते संशोधित बजट में वित्त मंत्रालय से अतिरिक्त 400 सौ करोड़ रुपये की मांग की गई। उसे यह राशि मिली भी और 31 जनवरी तक सवा 1500 सौ करोड़ खर्च भी कर दिए हैं। खेल संघों के लिए 245 करोड़ ही : इस बार खेल संघों के लिए कोई अतिरिक्त राशि नहीं मांगी गई है। पिछली बार की तरह 245 करोड़ हीं इनके लिए मांगे गए हैं। नई दिल्ली में स्पोर्ट्स साइंस और शोध संस्थान की स्थापना के लिए अतिरिक्त 50 करोड़ मांगे हैं। वाडा की ओर से प्रतिबंधित एनडीटीएल के बजट में पांच करोड़ की कटौती की गई है। लैब के लिए 7:30 के मुकाबले ढाई करोड़ तो ओलंपिक की तैयारियों में जुटे खिलाड़ियों का डोप सैंपल लेने वाली नाडा के बजट में चार करोड़ की वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है। ऐसा उसकी ओर से सैंपल की टेस्टिंग का खर्च उठाने के लिए किया गया है।