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श्रीप्रकाश शुक्ला
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने जब से खिलाड़ियों के सालाना करार का ऐलान किया है और उसमें दिग्गज क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को शामिल नहीं किया, उनको लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कयास लगाये जा रहे हैं कि महेंद्र सिंह धोनी संन्यास लेने जा रहे हैं। नि:संदेह संन्यास लेना एक खिलाड़ी का निजी फैसला होता है। देश के लिए अपना सर्वोत्तम देने के बावजूद हर खिलाड़ी एक सीमा तक ही खेल सकता है। लेकिन देश का फर्ज बनता है कि किसी भी खिलाड़ी की विदाई सम्मानजनक हो।
इससे पहले युवराज सिंह और सहवाग जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की विदाई उनके योगदान के अनुरूप नहीं रही। बहरहाल, बीसीसीआई द्वारा खिलाड़ियों के सालाना करार की घोषणाओं के बीच जब धोनी के संन्यास लेने को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं तब धोनी रांची में राज्य की घरेलू टीम के साथ जमकर अभ्यास कर पसीना बहा रहे थे। जाहिर है वे अपनी फिटनेस के साथ खेल को भी संवारने में लगे रहे। ऐसे में उनके पूरी तरह क्रिकेट से संन्यास लेने की बात गले नहीं उतरती। दरअसल, पिछले साल विश्वकप के सेमीफाइनल में भारत की पराजय के बाद धोनी तीनों प्रारूपों में क्रिकेट खेलने पिच पर नहीं उतरे। बताया गया कि वे चयन के लिए उपलब्ध नहीं थे। बीसीसीआई के नये अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि धोनी के भविष्य को लेकर सब साफ है। टीम मैनेजमेंट, बोर्ड और धोनी के बीच इसे लेकर पारदर्शिता है। इससे पहले भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री ने भी संकेत दिये थे कि धोनी वन डे क्रिकेट को अलविदा कह सकते हैं ताकि आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करके टी-20 विश्वकप के लिए दावेदारी मजबूत कर सकें। जाहिर है धोनी का क्रिकेट अभी बाकी है। वे अपनी परंपरागत आईपीएल टीम के कप्तान भी रहेंगे और खूब खेलेंगे भी।
बृहस्पतिवार को की गई नेट प्रेक्टिस इस बात का संकेत भी है। हम न भूलें कि धोनी एकमात्र ऐसे भारतीय कप्तान रहे हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को आईसीसी की तीनों ट्रॉफियां जिताई हैं। जिसमंे वर्ष 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप और आईसीसी चैंपियंस ट्राफी शामिल है। नि:संदेह ऐसे खिलाड़ी की जब भी विदाई हो, सम्मानजनक ढंग से ही होनी चाहिए। फिलहाल वे पूरी तरह फिट हैं और उनमें क्रिकेट अभी बाकी है। वे टीम पर बोझ नहीं बनना चाहते, मगर अभी उनकी कुछ आकांक्षाएं बाकी हैं। कयास हैं कि वे इसी साल अक्तूबर में होने टी-20 वर्ल्ड कप के लिए टीम में चयन के लिए तैयारी कर रहे हैं। वैसे भी दुनिया में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं और उन्होंने संन्यास नहीं लिया। वैसे भी यह जरूरी नहीं कि किसी खिलाड़ी ने यदि टीम इंडिया से सालाना करार न किया हो तो वह टीम के लिये नहीं खेल सकता। जहां तक बीसीसीआई के करार से होने वाले आर्थिक लाभ का प्रश्न है, धोनी जैसे खिलाड़ी के लिए यह मायने नहीं रखता।