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खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। सरकार और खेल संघ की मदद के बिना देश में ओलंपिक खेलने का सपना देखना बेमानी सा लगता है, लेकिन फवाद मिर्जा ने इसे झुठला दिया है। ओलंपिक में 20 साल बाद कोई भारतीय घुड़सवार देश के लिए दावेदारी ठोकने जा रहा है। इसमें न तो इक्वेस्ट्रीयन फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईएफआई) का योगदान है और न ही खेल मंत्रालय की टॉरगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का वह हिस्सा हैं। बावजूद इसके उन्हें कोई शिकायत नहीं है। जर्मनी में मौजूद यह घुड़सवार तो बस टोक्यो ओलंपिक में कुछ कर गुजरने के लिए मेहनत कर रहा है। क्वालिफाई करके ओलंपिक टिकट हासिल करने वाले फवाद देश के पहले असैनिक घुड़सवार हैं। वह इसका पूरा श्रेय अपने स्पांसर जीतू विरमानी को देते हैं। जब उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया तो विरमानी ने उनकी हर तरह से मदद की। वह विरमानी के दम पर ही जर्मनी में ट्रेनिंग कर रहे हैं। बीते वर्ष अर्जुन अवॉर्ड हासिल करने वाले फवाद कहते हैं कि ओलंपिक में दुनिया के 65 बड़े घुड़सवार चुनौती पेश करेंगे। इनके बीच अपनी पैठ बनाना आसान नहीं होगा, लेकिन वह सिर्फ अच्छे प्रदर्शन के बारे में सोच रहे हैं। वह चाहते हैं कि टोक्यो में ऐसा प्रदर्शन करें कि सेना से इतर असैनिकों के बीच खेल की पहचान बन सके। ढाई करोड़ का खरीदा घोड़ा जकार्ता एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने के बाद फवाद को उस वक्त झटका लगा जब उनका प्रिय घोड़ा मेडीकॉट जख्मी हो गया। उन्होंने दो अन्य घोड़े फर्नहिल और टचिंगवुड के सहारे ओलंपिक कोटा हासिल किया। उनके पिता हासनैन मिर्जा के अनुसार ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन के लिए फवाद को मेडीकॉट जैसे घोड़े की जरूरत है। मेडीकॉट अब ठीक हो रहा है, लेकिन विरमानी ने फवाद को एक अन्य जर्मन घोड़ा दयारा हाल ही में दिलाया है। इसकी कीमत ढाई करोड़ रुपये है। दयारा और मेडीकॉट को ओलंपिक में उतराने के लिए दो चार स्टार के कंपटीशनों में खेलकर मिनिमम एलिजबिलिटी रिक्वायरमेंट (एमईआर) दिलाना है। फवाद के सामने अभी चुनौती उनकी और घोड़ों की फिटनेस के अलावा इन्हें एमईआर दिलाने की है। इन कंपटीशनों को खेलने के बाद जुलाई में यह फैसला लिया जाएगा कि वह ओलंपिक में किस घोड़े का इस्तेमाल करेंगे। फवाद जर्मनी में घोड़ों की देखभाल खुद करते हैं। टॉप्स के लिए करेंगे आवेदन : हासनैन के मुताबिक फवाद को टॉप्स में शामिल कराने के लिए अब आवेदन किया जाएगा। ओलंपिक के लिए किसी भी तरह की मदद उसके लिए फायदेमंद रहेगी।