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भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ियों ने पूर्णकालिक कोच नहीं होने के बावजूद वर्ष 2019 में भी यादगार प्रदर्शन किया जबकि जी साथियान ने अपनी चमक बिखेरकर अचंता शरत कमल की जगह इस खेल में देश की कमान संभाली। पिछले डेढ़ दशक से शरत टेबल टेनिस में अकेले कमान संभाले हुए थे लेकिन साथियान ने अपने खेल में तेजी से सुधार करके उन्हें कुछ राहत पहुंचायी है। शरत ने कहा, ‘यह समय है (जबकि कोई नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाले)। साथियान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से सुधार कर रहा है और मैं उसके प्रदर्शन से वास्तव में खुश हूं।’अगर 2018 राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन के लिये याद किया जाएगा तो 2019 में विशेष रूप से साथियान ने शीर्ष स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने जापान के पांचवें नंबर के किशोर हरिमोतो तोमोकाजू सहित विश्व रैंकिंग में शीर्ष 20 में शामिल खिलाड़ियों को हराया। यह 26 वर्षीय 24 जुलाई को आईटीटीएफ विश्व रैकिंग में शीर्ष 25 में शामिल होने वाला पहला भारतीय खिलाड़ी बना। साथियान एशियाई कप में छठे स्थान पर रहे जिससे वह विश्व कप के लिये क्वालीफाई करने में सफल रहे। विश्व कप में अपने ग्रुप में शीर्ष पर रहकर उन्होंने मुख्य ड्रा में जगह बनायी। साथियान ने कहा, ‘इस साल का प्रदर्शन संतोषजनक रहा। मैंने कुछ अधिक रैंकिंग वाले खिलाड़ियों को हराया और अगले साल का लक्ष्य शीर्ष 10 में शामिल कुछ और खिलाड़ियों पर जीत हासिल करना है। हम एक टीम के रूप में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे ओलंपिक क्वालीफायर्स से पहले हमारा मनोबल बढ़ा है।’ भारतीय पैडलर ने नियमित कोच नहीं होने के बावजूद खुद को साबित किया। भारत अभी आठवें नंबर पर है और उसे टीम के रूप में पहली बार ओलंपिक में जगह बनाने के लिये क्वार्टर फाइनल में पहुंचने की जरूरत है। महिला टीम भले ही पुरुष टीम की तरह मजबूत नहीं हो लेकिन मनिका बत्रा के राष्ट्रमंडल खेल 2018 में चार पदक जीतने के बाद से उनसे काफी उम्मीदें की जाने लगी हैं। भारतीय गोल्फरों ने किया निराश पताया : भारत के अजीतेश संधू ने यहां थाईलैंड मास्टर्स गोल्फ टूर्नामेंट के अंतिम दौर में चार अंडर 67 का कार्ड खेला जिससे वह संयुक्त रूप से 11वें स्थान पर रहे। भारतीय गोल्फ के लिये यह वर्ष खराब रहा जिसमें कोई भी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय टूर में खिताब नहीं जीत सका और ऐसा 2001 के बाद पहली बार हुआ है। पिछले दो वर्षों (2017 और 2018) में भारतीयों ने 6 खिताब जीते थे। ज्योति रंधावा संयुक्त 39वें, एसएसपी चौरसिया संयुक्त 48वें, आदिल बेदी संयुक्त 54वें, अर्जुन अटवाल संयुक्त 60वें और विराज मादप्पा संयुक्त 73वें स्थान पर रहे। जैज जानेवाटानानोंद ने यहां पांच शाट की बढ़त से खिताब जीता। प्रशासनिक अव्यवस्था के बावजूद पैरा खिलाड़ियों ने किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।प्रशासनिक अव्यवस्था के बावजूद भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने वर्ष 2019 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके विश्व चैंपियनशिप में जमकर पदक बटोरे और पैरालंपिक के लिये सबसे अधिक कोटा स्थान भी हासिल किये। भारत ने 2020 पैरालंपिक के लिये 22 कोटा स्थान हासिल किये हैं। अभी उन्हें कुछ अन्य क्वालीफाईंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है लेकिन वे रियो 2016 से अधिक कोटा पहले ही हासिल कर चुके हैं। रियो पैरालंपिक में भारत ने 19 सदस्यों का अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा था।
भारत ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया। उसने इस प्रतियोगिता में दो स्वर्ण, दो रजत और पांच कांस्य सहित कुल नौ पदक जीते और 12 ओलंपिक कोटा हासिल किये। लेकिन सितंबर में खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल संहिता के नियमों का उल्लंघन करने के लिये भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) की मान्यता रद्द कर दी थी लेकिन इससे पैरा खिलाड़ियों के हौसले कम नहीं हुए। भाला फेंक के एथलीट संदीप चौधरी और सुमित एंतिल ने बेहतरीन प्रदर्शन करके वर्ष में दो बार विश्व रिकार्ड बनाये। पैरा शटलर ने भी विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। पोलियोग्रस्त प्रमोद भगत ने भी पुरुषों के एसएल3 वर्ग में यह खिताब जीता। भारतीय पैरा निशानेबाजों ने भी अपनी छाप छोड़ी और पैरालंपिक के लिये छह कोटा हासिल किये।