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खेलपथ प्रतिनिधि -खेल मंत्रालय कार्मिक विभाग से लगाएगा गुहार पदक विजेताओं को गजटेड अधिकारी बनाया जाए -गैर मान्यता प्राप्त खेलों के पदक विजेताओं को सरकारी नौकरी दिलाने की तैयारी -डीओपीटी से सरकारी नौकरी में खेलों का कोटा तीन से पांच प्रतिशत करने को कहा नई दिल्ली। कुछ वर्ष पूर्व कार्मिक विभाग (डीओपीटी) की बेरुखी के बाद खेल मंत्रालय ने ओलम्पिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं को केंद्र सरकार में गजटेड अधिकारी बनाने का बीड़ा एक बार फिर उठा लिया है। यही नहीं मंत्रालय ने उसकी मान्यता नहीं रखने वाले एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं को सरकारी नौकरी दिलाने के भी प्रयास शुरू कर दिए हैं। बुधवार को डीओपीटी के साथ हुई बैठक में मंत्रालय ने सरकारी नौकरी की सूची में मान्यता प्राप्त 39 खेलों की सूची बढ़ाकर 63 करने को कहा। साथ ही केंद्र सरकार की नौकरियों में खेलों का कोटा तीन से पांच प्रतिशत करने को कहा गया है। आरक्षण समझकर खारिज किया था प्रस्ताव : डीओपीटी ने कुछ वर्ष पूर्व मंत्रालय के इस प्रस्ताव को आरक्षण समझकर खारिज कर दिया था, लेकिन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह खिलाड़ियों के आरक्षण नहीं बल्कि नौकरी में कोटा मांग रहे हैं। डीओपीटी ने भी इस बात को समझा है। मंत्रालय का कहना है कि केंद्र सरकार की नौकरियों में खेलों का कोटा शून्य से पांच प्रतिशत है। शून्य जुड़ा होने के चलते कई संस्थान खिलाड़ियों को नौकरी पर ही नहीं रखते हैं। ऐसे में यह कोटा तीन से पांच प्रतिशत किया जाए।
सरकारी नौकरी में खेलों का बढ़ेगा दायरा : खेल मंत्रालय से जू जित्सू, जेट स्काई, पेंचाक सिलाट, सांबो जैसे कई खेल मान्यता प्राप्त नहीं हैं, लेकिन एशियाई खेलों में ये शामिल हैं। भारतीयों ने पदक भी जीते हैं। ऐसे में मंत्रालय ने डीओपीटी से मान्यता प्राप्त खेलों की सूची 39 से बढ़ाकर 63 के आसपास करने को कहा है। इससे सरकारी नौकरी में इन सभी खेलों के खिलाड़ियों को फायदा मिल सकेगा।
पदक विजेताओं को मिले ग्रुप ए व बी का अधिकार : कई राज्यों में पदक विजेताओं को गजटेड अधिकारी बनने का अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार की नौकरी में ऐसा नहीं है। यहां सिर्फ ग्रुप सी और डी पर ही खिलाड़ियों की भर्ती है। ऐसे में मंत्रालय ने डीओपीटी को ओलम्पिक, राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के पदक विजेताओं को ग्रुप ए और बी के लिए उनके प्रदर्शन और योग्यता के अनुसार योग्य करने के लिए कहा है।