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खाना, सोना और तैरना यही मेरा मंत्र
श्रीप्रकाश शुक्ला
नई दिल्ली। हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2019 में अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स ने अपने तैराकी सफर और सफलता के बारे में कई बातें शेयर कीं। फेल्प्स ने बताया कि वह पानी के डर को खत्म करना चाहते थे, इसलिए स्वीमिंग करना शुरू किया। वाटर सेफ्टी के लिए उन्होंने पानी में उतरना शुरू किया। फेल्प्स ने बताया कि जब मैं पहली बार पानी में उतरा तो मैं नहीं चाहता था कि मेरा चेहरा गीला हो। जब मैंने अपने डर पर काबू पा लिया उसके बाद मुझे स्वीमिंग में मजा आने लगा।
11 साल की उम्र में सभी खेलों को छोड़कर माइकल फेल्प्स ने स्वीमिंग पर फोकस करना शुरू किया।उन्होंने इसके साथ ही बताया कि मैं ओलम्पिक में हिस्सा लेने के लिए मेंटली और फिजिकली तैयार नहीं था। मैंने अपने पहले ओलम्पिक के लिए सूट भी ठीक से तैयार नहीं किया था। अपने बॉडी स्ट्रक्चर के बारे में बात करते हुए फेल्प्स ने बताया कि मेरी लम्बी बाहें और छोटे पैरों ने स्वीमिंग में मेरी काफी मदद की। मैं अपने पूरे करियर में एक समान वजन का रहा।
डाइट के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब जो मन करता है, वह खा लेता हूं। माइकल फेल्प्स बोले, मेरा पहला गोल्ड मेडल मेरा फेवरेट है। सिडनी ओलम्पिक से बिना कोई मेडल लिए लौटने ने मुझे काफी मोटिवेट किया। चैम्पियन तैराक ने कहा, ''खाना, सोना और तैरना यही मेरा मंत्र है। मैं क्रिसमस, जन्मदिन और छुट्टियां सभी पानी में बिताता हूं।'' उन्होंने आगे बताया कि जब आप स्वीमिंग से एक दिन का ब्रेक लेते हैं तो आपको वापस लौटने में दो दिन लग जाते हैं। मेरी जिंदगी में सब कुछ पूल के आसपास ही है।
माइक फेल्प्स ने बताया, ''मैं सप्ताह में 80 से 100 हजार मीटर तक तैरता था। जिसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की, उसका रिजल्ट भी मुझे मिला। हफ्ते में 10 प्रैक्टिस और पूल के आसपास बीती मेरी जिंदगी ही मेंरी सफलता का राज है।'' उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है मैंने किसी से भी ज्यादा ट्रेनिंग की है। मैंने वह सब किया है जो लोग सिर्फ पानी में करने का सपना देखते हैं, प्रैक्टिस के तौर पर। मैं सिर्फ मेडल जीतना चाहता था। मैं पोडियम में टॉप में रहना चाहता था। यह सब मेडल रिकॉर्ड के पीछे भागने के लिए नहीं था। यह सब मैं कर रहा था, जितना बेस्ट मैं कर सकता था। मैंने सभी से ज्यादा कठिन ट्रेनिंग की। मैं पदक जीतने के लिए खुद को सर्वश्रेष्ठ स्थिति में रख रहा था।''
माइकल ने बताया, ''मैं अपने प्रतिद्वंदियों को उनसे बेहतर जानता था। मैंने कई रेस में तैराकी की। मैं हमेशा इस बात को लेकर सचेत रहता था कि दूसरे एथलीट क्या कर रहे हैं क्योंकि मुझे पता था कि मैं किसी समय उनके खिलाफ तैरूंगा।'' उन्होंने कहा मेरी हार मेरी जिंदगी में हुई बेस्ट चीज थी। यह एक रणनीति होती है, जो तय करती है कि आप इस रेस को फिनिश कर सकते हैं। मेंटल हेल्थ के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, आप जब मेंटल हेल्थ में किसी की मदद करते हैं तो आप किसी की जिंदगी बचाते हैं और यह किसी मेडल जीतने से बढ़कर है। टैलेंट और मेंटल स्ट्रेंथ कामयाबी के लिए 30 और 70 के औसत में काम करती है। मेंटल टफनेस बहुत जरूरी है। आप जो करिए उसमें अपना 100 फीसदी दीजिए।
माइकल फेल्प्स ने कहा कि चैंपियन बनने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है। आपका दिमाग आपका सबसे बड़ा हथियार है। आप इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कीजिए। बचपन में मैंने अपने शब्दकोश से 'नहीं कर सकता' शब्द हटा दिया था। फेल्प्स ने कहा, ''खाना मेरे लिए फुल टाइम जॉब था। टॉप पर रहने के लिए मुझे अपना वेट भी मेंटेन करना था।'' 2008 के बाद वापसी करना मेरे लिए सबसे मुश्किल वक्त था। अपनी रिटायरमेंट के बारे में बात करते हुए फेल्प्स ने कहा, ''2012 में ऐसा समय आया था कि मैं जिन्दा भी नहीं रहना चाहता था, मैंने संन्यास की घोषणा कर दी थी। कभी-कभी सही नहीं होना भी सही होता है, जिंदगी में ऐसा समय आता है।'' उन्होंने कहा डिप्रेशन हमेशा मेरी जिंदगी का एक हिस्सा रहेगा।
माइकल फेल्प्स ने अपनी फाउंडेशन के बारे में बात करते हुए कहा कि पिछले 10 साल में मेरे फाउंडेशन ने 25000 बच्चों को स्वीमिंग सिखाई है। डोपिंग पर बात करते हुए फेल्प्स ने कहा, ''मुझे डोपिंग से नफरत है। मैं डोपिंग करने वाले स्वीमर को हरा सकता हूं।'' अपनी सफलता पर बात करते हुए उन्होंने कहा, ''मेरी मां ने मुझे सब सिखाया है, उन्होंने मुझे ऐसे बड़ा किया है कि कभी कामयाबी मेरे सिर पर नहीं चढ़ी।''
बता दें कि माइकल फेल्प्स एक अमेरिकी तैराक है, जिन्होंने 23 ओलम्पिक गोल्ड मेडल जीते हैं। फेल्प्स ने ओलम्पिक में कुल 28 पदक जीते हैं। फेल्प्स ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में आठ स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, उसमें सोने का तमगा जीता था। उन्होंने लंदन ओलम्पिक 2012 में चार स्वर्ण और दो रजत पदक हासिल किए थे। फेल्प्स ने 15 साल की उम्र में 2000 में सिडनी ओलम्पिक से शुरुआत की थी। इस ओलम्पिक में माइकल को कोई मेडल नहीं मिला था. इसके बाद अगले साल से फेल्प्स ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की शुरुआत कर दी थी।
2004 के ओलम्पिक खेलों तक फेल्प्स चार वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ चुके थे। एथेंस में जब उन्होंने छठा ओलम्पिक गोल्ड जीता तो उन्होंने बता दिया कि खेल जगत के इतिहास के वह महानतम तैराक हैं। चार साल बाद बीजिंग में उन्होंने 8 गोल्ड मेडल जीतकर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने मार्क स्पिट्ज के 1972 के 7 गोल्ड मेडल के रिकॉर्ड को तोड़ा। फेल्प्स के लिए यह सफर आसान नहीं रहा। वह युवा अवस्था में (ध्यान की कमी या ध्यान ना देना) ADHD के शिकार थे। अपने करियर के अंत में फेल्प्स ने इस बारे में बात करना शुरू किया और साथ ही डिप्रेशन से जुड़े अपने एक्सपीरियेंस भी शेयर किए।