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आखिरकार बांग्लादेश के साथ कोलकाता के प्रसिद्ध ईडन गार्डन्स में खेला गया दूसरा व अंतिम टेस्ट कई मायने में यादगार साबित हुआ। बांग्लादेश को पारी के अंतर से हराने के साथ भारत ने शृंखला तो अपने नाम की ही, साथ ही जीत का विश्व रिकॉर्ड भी बना डाला। यह मैच इस मायने में खास था कि क्रिकेट में विशिष्ट माने जाने वाले टेस्ट क्रिकेट में नये रंग भरने के लिये भारत में पहली बार दिन-रात का टेस्ट क्रिकेट खेला गया, जिसमें पहली बार गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया गया। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली जुनून की हद तक गुलाबी गेंद से क्रिकेट खिलवाने को उत्सुक थे। भारत ने गुलाबी जीत का स्वाद भी चखा।
नि:संदेह कोलकाता टेस्ट में बांग्लादेश को तीसरे दिन ही एक पारी और 46 रन से हराना भारतीय रणबांकुरों की कामयाबी ही कही जायेगी। भारत ने 2-0 से यह सीरीज भी अपने नाम की। खास बात यह है कि इस जीत के साथ ही भारतीय टीम पारी के अंतर से लगातार चार मैच जीतने वाली दुनिया की पहली टीम बन गई है। टीम इससे पूर्व दक्षिण अफ्रीका को पुणे में एक पारी और 137 रन से, रांची में भी दक्षिण अफ्रीका को एक पारी और 202 रन के अंतर से तथा बांग्लादेश को इंदौर में एक पारी और 130 रन के अंतर से हरा चुकी है। गुलाबी गेंद के इस दिन-रात के मैच में स्पिनर तो नहीं चले मगर तेज गेंदबाजों ने धारदार गेंदबाजी करके मैच का रुख ही बदल दिया। यह मैच विराट कोहली के नये रिकॉर्ड के लिये भी याद किया जायेगा। विराट ने जब इस मैच में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता टेस्ट मैच में बत्तीस रन पूरे किये तो वह एक नया रिकॉर्ड बना चुके थे। वे एक कप्तान के रूप में सबसे तेज पांच हजार रन बनाने वाले बल्लेबाज बन चुके थे। क्लाइव लॉयड, एलेन बॉर्डर, रिकी पोंटिंग, स्टीफन फ्लेमिंग और ग्रैम स्मिथ के बाद वे ऐसा करने वाले भले ही छठे कप्तान हों, मगर कोहली ने यह उपलब्धि सबसे कम पारी खेलकर हासिल की है। उन्होंने यह कामयाबी 53 टेस्ट में 86 पारियां खेलकर हासिल की। नि:संदेह टेस्ट कि्रकेट एक एलीट खेल के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। पांच दिन तक चलने वाले इस खेल में सफेद ड्रेस और लाल बॉल के साथ खेलने का अपना रोमांच है। मगर हाल के दिनों में वन -डे और फिर टी-20 मैचों के सम्मोहन ने टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता में कमी की है। फिर भी मौलिक और असली क्रिकेट के रूप में टेस्ट कि्रकेट की मान्यता बरकरार है, जिसमें कलात्मक क्रिकेट और खिलाड़ियों के दमखम की परख होती है। मगर सत्तर के दशक के बाद वन डे क्रिकेट के विस्तार और सन् दो हजार के बाद टी-20 ने अप्रत्याशित लोकप्रियता हासिल की। कहा जाने लगा कि टेस्ट क्रिकेट को अब दर्शक नहीं मिलते। कमोबेश यही स्थिति भारत में भी रही है। वैसे इस संकट को महसूस करते हुए वर्ष 2015 में गुलाबी गेंद के साथ डे-नाइट टेस्ट खेलने की शुरुआत एडिलेड में न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के बीच हुई। इस मैच में न्यूजीलैंड की जीत के बाद ऐसे एक दर्जन मैच खेले जा चुके हैं। दरअसल, दिन-रात के मैचों में कृत्रिम रोशनी में लाल गेंद को लेकर खिलाड़ियों को दिक्कत होती रही है, अत: आसानी से नजर आने वाली गुलाबी गेंद का सहारा लिया जाता है। बहरहाल, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा कि बदलाव के दौर में गुलाबी गेंद का प्रयोग क्रिकेट प्रेमियों को िकतना रास आता है। वे मैदान पर खेल देखने आते हैं या फिर टीवी से ही चिपके रहेंगे। कुछ कि्रकेट पंडित मानते हैं कि मैच का समय और गेंद का रंग बदलने से स्थिति में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आयेगा। फिर भी यदि खेल के स्तर में धनात्मक बदलाव आता है तो यह स्वागतयोग्य होगा।