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संघर्ष से बहुत कुछ सीखा है खेलपथ प्रतिनिधि ग्वालियर। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल वैसे तो सिर्फ 24 साल की हैं, पर जब आप उनसे बात करेंगे तो उन्हें उनकी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व पाएंगे। वह कहती हैं, ‘मेरे संघर्ष ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया। उम्र से ज्यादा सिखा दिया।’ अपने गोल से भारतीय महिला हाकी टीम को टोक्यो ओलम्पिक का टिकट दिलाने वाली रानी कहती हैं कि हम रियो में बहुत खराब खेले थे लेकिन टोक्यो में ऐसा नहीं होगा। चार साल में हमारी टीम ने बहुत कुछ सीखा है। भारतीय टीम टोक्यो में सेमीफाइनल खेलेगी और हम पदक जीत सकते हैं। रानी कहती हैं, ‘अगर टीम के सदस्य मनोरंजन करना चाहते हैं, तो मैं कभी उन्हें इसके लिए मना नहीं करती। आखिर उस वक्त सभी सदस्य जीत के बाद वाले मूड में थे। ऐसे पल वैसे भी बहुत मुश्किलों के बाद आते हैं।’ रानी कहती हैं कि खिलाड़ियों को अधिक अनुशासन में रखा जाना ठीक नहीं है। रानी कहती हैं कि भारतीय हॉकी टीम में शामिल खिलाड़ियों के पास प्रेरणादायक गानों की एक प्लेलिस्ट है, जिसे वे अकसर होटल से स्टेडियम ले जाने वाली बस में चलाते हुए आती हैं। इस बारे में रानी कहती हैं, ‘हमारी टीम में कुछ लड़कियां ऐसी हैं, जो हर महफिल की रौनक हैं। वे खुद भी अच्छा समय बिताती हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करती हैं।’ जिस तरह हर खिलाड़ी का कोई न कोई फैशनेबल अंदाज होता है, रानी भी अकसर अपनी यूनीफॉर्म के साथ नीले रंग की नेल पॉलिश लगाती हैं। आज खिलाड़ियों पर आए दिन बायोपिक फिल्में बन रही हैं। इस श्रेणी में शूटर अभिनव बिंद्रा, बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और सायना नेहवाल का नाम लिया जा सकता है। रानी से अब तक तो किसी बायोपिक फिल्म के लिए संपर्क नहीं किया गया है, पर भविष्य में अगर ऐसा होता है, तो उनके दिमाग में यह एकदम स्पष्ट है कि उनका किरदार किस एक्टर को निभाना चाहिए। वह कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि अगर मेरी जिंदगी पर कोई फिल्म बनती है, तो मेरा किरदार अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को निभाना चाहिए, क्योंकि वह एक खिलाड़ी जैसी दिखती हैं।’