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दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों में शुमार भारतीय हॉकी स्टार पीआर श्रीजेश का मानना है कि गोलकीपर शराब की तरह होते हैं, जो समय के साथ निखरते जाते हैं। पूर्व कप्तान श्रीजेश ने कहा कि करियर के शुरुआती दौर में मिले झटकों ने उन्हें सबक सिखा दिया था कि नाकामी ही कामयाबी की नींव होती है। श्रीजेश ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ''मेरे लिए शुरुआती कुछ साल काफी कठिन थे। मुझे अंतरराष्ट्रीय हॉकी को समझने में समय लगा। समय के साथ खेल बदला और तेज होता चला गया। हर टूर्नामेंट कुछ न कुछ सिखाकर जाता है।'' उन्होंने कहा, ''मैंने जब करियर शुरू किया तो मैं काफी गोल गंवाता था, लेकिन हर किसी ने मुझ पर भरोसा रखा। गोलकीपर होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब आप दूसरा विकल्प होते हैं तो बाहर बैठकर काफी अनुभव मिलता है। मैं अपने सीनियर्स की सलाह और सुझावों के लिए शुक्रगुजार हूं।''श्रीजेश ने कहा, ''आज मैं सभी बाधाओं को पार करके यहां तक पहुंचा हूं। गोलकीपर शराब की तरह होते हैं जो अनुभव के साथ बेहतर होते जाते हैं।'' 33 बरस की उम्र में अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर खड़े श्रीजेश ने अभी संन्यास के बारे में सोचा नहीं है। उन्होंने कहा, ''मैं कुछ सोच नहीं रहा क्योंकि अभी पूरा ध्यान ओलंपिक पर है। ज्यादा लंबे समय के लक्ष्य तय नहीं करता।''