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नई दिल्ली। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने रूस के खिलाफ अपने घरेलू कलिंगा स्टेडियम में शानदार प्रदर्शन करने के साथ 21वीं बार ओंलपिक खेलों के लिए क्वॉलीफाई कर लिया जबकि महिला हॉकी टीम ने तीसरी बार इन सबसे बड़े खेलों में जगह बनाने की उपलब्धि दर्ज की है। ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित एफआईएच ओलंपिक क्वॉलीफायर में महिला टीम ने कप्तान रानी रामपाल के चौथे क्वार्टर में निणार्यक गोल की बदौलत अमेरिका को कुल 6-5 के स्कोर से पराजित कर तीसरी बार ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई किया जबकि पुरुष टीम ने रूस को 11-3 से रौंदकर ओलंपिक का टिकट कटाया।
महिला टीम अब तक तीन ओलंपिक में हालांकि पदक तक नहीं पहुंच सकी है, लेकिन पुरुष टीम के नाम 11 पदक दर्ज हैं जिसमें आठ स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य हैं। लेकिन पुरुष टीम ने ओलंपिक में अपना आखिरी पदक स्वर्ण के रूप में वर्ष 1980 में मॉस्को में जीता था और उसके बाद 39 सालों से उसके पदक का सूखा बरकरार है। पुरुष हॉकी टीम ने 1928 के एम्सटर्डम में स्वर्ण पदक के साथ ओलंपिक में शानदार शुरूआत की थी और उसके बाद 1932 के लॉस एंजेलिस, 1936 के बर्लिन, 1948 के लंदन, 1952 के हेलसिंकी, 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में लगातार स्वर्ण पदक जीते।
1960 के रोम ओलंपिक में भारतीय टीम हालांकि दूसरे नंबर पर खिसक गई और उसे रजत से संतोष करना पड़ा लेकिन अगले 1964 के टोक्यो ओलंपिक में उसने फिर से स्वर्णिम कामयाबी को दोहरा दिया। वर्ष 1968 के मैक्सिको और 1972 के म्युनिख ओलंपिक में फिर टीम तीसरे नंबर पर खिसक गयी और कांस्य पदक जीता।
1976 के मांट्रियल ओलंपिक में लेकिन फिर टीम का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा जहां वह सातवें नंबर पर खिसक गयी और पोडियम फिनिश से ही बाहर हो गई। वर्ष 1980 में अगले ओलंपिक में उसने नई ऊर्जा के साथ इन खेलों में फिर से कामयाबी हासिल कर पहला स्थान हासिल किया और स्वर्ण पर कब्जा किया जो उसका ओलंपिक में आठवां पदक था।
मास्को में भारतीय पुरुष टीम के लिए लेकिन यह ओलंपिक में आखिरी पदक भी साबित हुआ, जिसके बाद अब तक वह इन खेलों में पोडियम पर जगह तक नहीं बना सकी है। भारत ने ओलंपिक में 21वीं बार क्वॉलिफाई करने के साथ लेकिन एक बार फिर उम्मीद जरूर बंधा दी है। पुरुष टीम एकमात्र बार बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई नहीं कर सकी थी। आखिरी 2016 के रियो ओलंपिक में वह आठवें नंबर पर रही थी। दूसरी ओर महिला टीम ने तीसरी बार ओलंपिक खेलों के लिए क्वॉलीफाई कर लिया है। महिलाओं ने 1980 के मॉस्को ओलंपिक में क्वॉलीफाई करने के बाद जाकर 2016 के रियो ओलंपिक में मात्र दूसरी बार ओलंपिक टिकट हासिल किया था और अब लगातार यह दूसरा मौका है जब उसने 2020 टोक्यो ओलंपिक का भी टिकट हासिल किया है।