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कभी उनके दोस्त वुशु खेल का मजाक बनाया करते थे, लेकिन वुशु विश्व चैम्पियनशिप में प्रवीण कुमार के स्वर्ण पदक जीतने के बाद अब माता-पिता अपने बच्चों के लिये वुशु में रुचि लेने लगे हैं। हर रात प्रवीण स्वर्ण पदक जीतने के ख्यालों के साथ सोते थे। पिछले सप्ताह शंघाई में मिले स्वर्ण पदक के बाद अब हरियाणा के इस खिलाड़ी और इस खेल को भी पहचान मिलने लगी है। प्रवीण ने भारतीय खेल प्राधिकरण से कहा कि मेरे माता-पिता इस खेल से अनजान थे और मेरे दोस्त इसके नाम का मजाक बनाते थे। मैं उन्हें इस खेल के वीडियो दिखाता था और उन्हें इसमें मजा आने लगा। फाइट देखकर बोलते थे कि बहुत अच्छा खेल है। उन्होंने कहा कि मैने तय कर लिया था कि एशियाई और विश्व चैम्पियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि हर रात मैं यही सोचकर सोता था कि मैं ऐसा कर सकता हूं। मैंने मेहनत शुरू की और दो महीने पहले शिविर के दौरान इरादा पक्का कर लिया । अगर मेडल मिलता है तो गोल्ड ही लेके आना है। रोजाना आ रहे फोन प्रवीण ने कहा कि उनके स्वर्ण पदक जीतने के बाद से लोगों के रोजाना फोन इस खेल के बारे में जानकारी लेने के लिये आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब मुझे युवाओं और माता-पिता के फोन आ रहे हैं कि अभ्यास कहां से शुरू करें। मेरे सीनियर प्रमोद कटारिया ने हरियाणा में अपनी अकादमी खोली है, जबकि दिल्ली में भी अकादमियां हैं। भारतीय सेना में कार्यरत प्रवीण ने कहा कि सेना के मेरे कोचों और मेंटर्स ने मेरी काफी हौसलाअफजाई की। वे लगातार कहते थे कि तू ये कर सकता है।