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हवा बदल रही है और बदलती हवा इशारे कर रही है। खिलाड़ियों और खेल प्रशिक्षकों का हवा के इशारे समझना बहुत जरूरी है। खेलों की हवा इन दिनों दिल्ली में भी नया रुख ले रही है। जिन मैदानों पर खिलाड़ियों की किलकारियां गूंजनी चाहिए वहां केन्द्र सरकार अपने दफ्तर खोल चुकी है। मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम जाकर दुःख हुआ वहां हाकी की टंकार के बजाय मोदी सरकार का बीतराग सुनाई दिया। मुख्य द्वार पर लटके ताले को देखकर विश्वास ही नहीं हुआ कि इसके अंदर कोई राष्ट्रीय हाकी प्रतियोगिता भी हो रही होगी। बमुश्किल मैं प्रतियोगिता स्थल तक पहुंच सका। दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी खिलाड़ियों के दर्द से बेफिक्र है। मोदी जी क्या खेलो इंडिया, फिट इंडिया के सपने ऐसे ही साकार होंगे?