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यह 1932 और 1936 ओलम्पिक हाकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे कैप्टन रूप सिंह क्रिकेट मैदान है। यहां क्रिकेट भगवान सचिन तेंदुलकर अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट का दोहरा शतक लगा चुके हैं। इस मैदान के साथ कई बेहतरीन यादें हैं। इस मैदान में खेलप्रेमियों का हुजूम सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मैचों में ही देखने को मिलता है, तब एक-एक टिकट की मारामारी होती है। दीगर राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिताएं यहां बिना दर्शकों के सम्पन्न हो जाती हैं। ग्वालियर में क्रिकेट के यह दो रूप चिन्ताजनक स्थिति के साथ ही खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन का भी प्रमुख कारण है। सोचिए, खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन पर जब हम शाबासी भी नहीं दे सकते तो भला शहर से बड़े क्रिकेटर कैसे निकलेंगे! ह्वीलचेयर क्रिकेट खेलने आए देशभर के इन जांबाजों को सिर्फ ग्वालियर के स्नेह की जरूरत है।