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जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बुधवार को कहा कि प्रशासकों की समिति में अपने कार्यकाल के लिए उन्होंने भुगतान की उम्मीद नहीं की थी और सीओए की पहली बैठक में ही इसे स्पष्ट कर दिया था। गुहा ने 40 लाख रुपये का भुगतान लेने से इनकार कर दिया जबकि सीओए के एक अन्य पूर्व सदस्य बैंकर विक्रम लिमये ने भी भुगतान लेने से मना कर दिया। लिमये को 50 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान होना था। बुधवार को बीसीसीआई के संचालन से हटने वाली विनोद राय की अगुआई वाली प्रशासकों की समिति में शुरुआत में चार सदस्य थे जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने 30 जनवरी 2017 को नियुक्त किया था। गुहा ने निजी कारणों से जुलाई 2017 में इस्तीफा दिया जबकि लिमये भी इसके बाद अपना पद छोड़कर नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के प्रबंध निदेशक और सीईओ बन गये। गुहा के इस्तीफा पत्र से बाद में काफी बवाल हुआ क्योंकि उन्होंने खिलाड़ियों और कोचों के कई पदों पर होने के कारण हितों के टकराव से निपटने में नाकाम रहने के लिए बीसीसीआई को लताड़ लगाई थी। उन्होंने राष्ट्रीय टीम के तत्कालीन कोच अनिल कुंबले के मामले से निपटने के तरीके की भी आलोचना करते हुए कहा था कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए था।