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जनप्रतिनिधियों की बातें हवा-हवाई
खेलपथ प्रतिनिधि
कोलकाता। जनप्रतिनिधि खिलाड़ियों को लेकर कतई फिक्रमंद नहीं होते। उनका एकमात्र मकसद सफल खिलाड़ियों के साथ फोटो खिंचवाने तक ही सीमित होता है। इस बात के अनगिनत उदाहरण गिनाए जा सकते हैं। ममता बनर्जी ने भी एशियाई स्वर्ण पदक विजेता स्वप्ना बर्मन को कई शब्जबाग दिखाए थे लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। ममता सरकार ने स्वप्ना को जमीन देने का वादा किया था लेकिन अभी तक नहीं दिया। उसे रहने के लिए जो आवास दिलाया था उसका किराया भी स्वप्ना ही भर रही है।
एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हेप्टाथलीट स्वप्ना बर्मन ने बताया कि पिछले साल इंडोनेशिया में खिताब जीतने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जमीन का टुकड़ा देने का वादा किया था, वह अब तक पूरा नहीं किया गया है। ट्रेनिंग में सुविधा के लिए स्वप्ना को साल्टलेक में भारतीय खेल प्राधिकरण के पूर्वी केंद्र के समीप जमीन देने का वादा किया गया था। लगभग एक साल बीतने के बावजूद स्वप्ना को सिर्फ किराए का घर दिया गया है, जिसके लिए उन्हें अपने जेब से हर महीने चार हजार रुपये देने पड़ते हैं।
स्वप्ना ने कहा, 'हमने इतने आग्रह किए लेकिन अधिकारियों ने बताया कि वित्त समिति ने जमीन देने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मैं जानना चाहती हूं कि क्या मुख्यमंत्री को पता है कि उनके वादे के बावजूद मुझे जमीन देने से इनकार किया गया है। मुझे सिर्फ 10 लाख रुपये और किराए का घर दिया गया जिसके लिए मैं अपनी जेब से चार हजार रुपये किराया दे रही हूं। यह काफी हताशा भरा है।'
स्वप्ना ने 2002 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता सोमा विश्वास का उदाहरण दिया जिन्हें सरकार ने उस समय जमीन दी थी। इसके अलावा तीरंदाज डोला बनर्जी, टेबल टेनिस खिालाड़ी मौउमा दास और पोलोमी घटक तथा तैराक बुला चौधरी को भी जमीन तोहफे में दी गई। घुटने और पीठ की चोट के लिए रिहैबिलिटेशन से गुजर रही स्वप्ना ने मुश्किल राह के बावजूद ओलम्पिक क्वालीफाइंग स्तर हासिल करने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, 'यह मुश्किल है लेकिन मुझे भरोसा है। अंकों में सुधार के लिए अगले साल मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगी।'