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क्यों दिया जा रहा उन्हें इतना भाव नई दिल्ली। इन दिनों चल रही भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टी-20 सीरीज का आखिरी मैच रविवार को बेंगुलुरू में होना है। सीरीज से पहले और अब तक सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी खिलाड़ी की हो रही है तो वह हैं टीम इंडिया के विकेटकीपर- बल्लेबाज ऋषभ पंत। ऋषभ पंत को टीम इंडिया में काफी समय से मौके दिए जा रहे हैं जोकि हैरानी की बात नहीं है। वे काफी प्रतिभाशाली हैं इसमें किसी को संदेह भी नहीं है लेकिन फिर भी हर सीरीज के दौरान पंत को लेकर टीम के प्रमुख चयनकर्ता एमएस के प्रसाद से पंत के बारे में सवाल पूछे जाते हैं और वे पंत पर अपना विश्वास मजबूती से जताते दिखाई देते हैं। ऐसे में पंत को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। सबसे पहला सवाल तो यही कि आखिर पंत को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है। इसकी इतनी क्या जरूरत है। पंत एक अच्छे खिलाड़ी हैं। वे समय-समय पर अपनी उपयोगिता साबित करते भी रहे हैं, लेकिन जिस तरह से टीम प्रबंधन पंत को लेकर बयान दे रहा है, वह भी अपने आप में एक सवाल बन रहा है। पंत को लेकर यह बयानबाजी लम्बे समय से हो रही है। सबसे पहले टीम इंडिया के 2017 के अंत में हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे में पंत की बल्लेबाजी के तरीके पर सवाल उठे थे, उसके बाद से वे हमेशा ही आलोचकों के निशाने पर रहे हैं। इस सबके आखिर क्या मायने हैं? पंत के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि विकेटकीपर होने के साथ ही वे एक विस्फोटक बल्लेबाज हैं। वे बल्लेबाजी में अपनी अहमियत और प्रतिभा दोनों ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साबित कर चुके हैं। किसी टीम में विकेटकीपर से यह उम्मीद की जाती हैं कि वह एक बेहतरीन बल्लेबाज हो जिससे कि टीम को एक अतिरिक्त बल्लेबाज मिल जाए जिससे बल्लेबाजों और गेंदबाजों के बीच संतुलन आसान हो सके। पंत इस मामले में अपने अन्य समकालीन विकेटकीपरों से कम नहीं हैं. इस मामले में उन्हें कॉम्पीटशन कम मिल रहा है। धोनी की जगह भरना है जी हां यह पंत को लेकर बहस का सबसे बड़ा कारण है। टीम इंडिया में अब तक विकेटकीपिंग की जगह एमएस धोनी के हवाले थी लेकिन अब टीम प्रबंधन उनसे आगे की सोचने लगा है जब वे कभी भी रिटायर हो सकते हैं। इसीलिए टीम इंडिया के प्रमुख चयनकर्ता एमएसके प्रसाद को बार-बार कहना पड़ा है कि पंत को भविष्य के लिए ग्रूम किया जा रहा है। धोनी जैसे खिलाड़ी बिरले ही पैदा होते हैं। धोनी ने टीम इंडिया को एक नया आयाम दिया।उनकी बैटिंग और लीडरशिप की इतनी चर्चा होती थी कि विकेटकीपिंग के बारे में बात ही नहीं होती थी जबकि टीम में विकेटकीपिंग सबसे अहम पहलुओं में से एक है। ऐसे में धोनी की जगह लेने वाले खिलाड़ी से उम्मीदें कुछ ज्यादा ही होंगी। कोई है भी पंत की टक्कर का जी हां यह सवाल ही पंत की दावेदारी को मजबूत करता है। टीम इंडिया में विकेटकीपर की जगह के लिए वैसे तो कई दावेदार हैं, लेकिन वे पंत को टीम इंडिया से बाहर कर दें इतने मजबूत नहीं हैं। हां, दिनेश कार्तिक (33 साल), ऋद्धिमान साहा (34 साल) और पार्थिव पटेल (34 साल) जैसे कई अनुभवी खिलाड़ी तो हैं लेकिन वे पंत से पीछे नहीं तो इतने आगे भी नहीं हैं। इसके अलावा दिनेश कार्तिक और अन्य विकेटकीपर लंबे समय से टीम इंडिया में जगह पाने के लिए संघर्ष करते रहे हैं और मौके मिलने पर भी खुद को साबित नहीं कर सके हैं। और अन्य युवा विकेटकीपर इनमें भी पंत बेहतरीन हैं। ईशान किशन जैसे कुछ खिलाड़ी उम्मीद तो जगाते हैं लेकिन वे पंत से कमतर ही हैं। वहीं केएल राहुल एक बेहतरीन बल्लेबाज तो हो सकते हैं लेकिन वे पंत से बेहतर विकेटकीपर साबित नहीं हो पाए हैं। हां वे बैकअप विकेटकीपर के तौर पर ही टीम इंडिया में बने रह पाए हैं। तो समस्या क्या है पंत के साथ कोई नहीं. जी हां, कई लोगों का यही मानना है कि पंत के फॉर्म से ज्यादा बड़ी समस्याएं टीम इंडिया में हैं जिन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। जैसे चौथे क्रम का बल्लेबाज, टॉप ऑर्डर में निरंतरता, जैसी कुछ समस्याएं तो टीम इंडिया के लिए मुसीबत ही बनती रही हैं और कोई भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि ये समस्याएं सुलझ चुकी हैं। इसके अलावा निचले क्रम की बल्लेबाजी भी अगले साल होने वाले टी20 विश्व कप के लिहाज कम महत्वपूर्ण नहीं है। उम्मीदें कुछ ज्यादा हैं पंत के साथ उम्मीदें कुछ ज्यादा हैं और उनकी टीम को जरूरत भी ज्यादा है। ऐसे में उनके प्रदर्शन पर निगाहें ज्यादा रहती हैं। उनके खेलने का ढंग भी उन्हें निरंतर बनाने से रोकता है वे एक सेंसिटिव बैट्समैन न होकर विस्फोटक बल्लेबाज हैं लिहाजा उनके शॉट सिलेक्शन पर हमेशा ही सवाल उठेंगे। पंत समय-समय पर टीम को अपनी अच्छी पारियां दे रहे हैं जैसे उन्होंने वेस्टइंडीज में 65 रन की पारी में किया जोकि बहुत अच्छा संकेत है।