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बाल विवाह का किया था विरोध उस समय मैं 10वीं में पढ़ रही थी, जब आसपास के लोगों की बातों में आकर मेरे पिता ने मेरी शादी 26 वर्ष के लड़के के साथ तय कर दी। उस समय मैं घरवालों के खिलाफ कुछ बोल नहीं पाई। हालांकि मैं अपने खेल को आगे बढ़ाना चाहती थी, पर शादी तय हो जाने के बाद मुझे लगने लगा कि अब सब कुछ खत्म हो गया है। मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। फिर मैंने किसी के कहने पर एक एनजीओ से मदद मांगी। शादी से ठीक दस दिन पहले चाइल्ड लाइन और पुलिस ने मुझे बाल विवाह के चंगुल से बचा लिया। मैं आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले की रहने वाली हूं। फिलहाल मैं हैदराबाद में रहकर क्रिकेट की कोचिंग कर रही हूं। मेरे पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, जबकि मेरी मां सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करके हमारा पालन-पोषण करती हैं। बचपन से ही मुझे क्रिकेट खेलना पसंद है। मैं नौवीं कक्षा से ट्रेनिंग कर रही हूं और अंडर-19 के लिए खेल चुकी हूं। चूंकि मेरा परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था, तो शुरू में मेरे पास क्रिकेट किट भी नहीं थी। पढ़ाई के दौरान ही स्कूल में शारीरिक शिक्षा पढ़ाने वाले शिक्षक ने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए कहा। इसके बाद मैंने अनंतपुर स्पोर्ट्स अकादमी (एएसए) द्वारा आयोजित एक ग्रामीण क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। क्रिकेट के प्रति मेरी रुचि को देखते हुए, एएसए क्रिकेट प्रोग्राम ने मुझे क्रिकेट कोचिंग के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान किया। उन्होंने मेरी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए छात्रवृत्ति दी। इसके बाद सब कुछ बदल गया। एएसए आंध्र प्रदेश में ग्रामीण बच्चों को सशक्त बनाने की दिशा में खेल-विकास की एक पहल है। एसोसिएशन 14 केंद्रों के माध्यम से अनंतपुर जिले में एक क्रिकेट कार्यक्रम चलाता है। एएसए का हिस्सा बनने के बाद, मैंने खूब मेहनत की और लड़कियों को लेकर अपने क्षेत्र में प्रचलित लिंगवाद की रूढ़ियों को भी तोड़ा। मैं उस टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थी। उसने मुझे एएसए क्रिकेट अकादमी में चयनित होने में मदद की। तब से, मैंने दिन-रात क्रिकेट के लिए अपना जुनून जारी रखा है। एकेडमी में प्रदर्शन और विभिन्न टूर्नामेंट में खेलने के बाद मुझे आंध्र प्रदेश की अंडर -16 टीम में चुना गया। यह मेरे करियर का एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट और बहुत कुछ नया सीखने का अनुभव था। मेरी टीम ने गुंटूर में मुंबई के खिलाफ कई कठिन मैच खेलने के बाद लीग जीती। वहां मुझे, देश के कई खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करने और उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। मैं टीम में ऑलराउंडर की भूमिका में खेलती हूं। एक बार मैं और मेरी टीम के सदस्य बीसीसीआई अंडर -19 लीग के लिए रांची, झारखंड में क्रिकेट नेट में अभ्यास कर रहे थे। उसी दौरान महेंद्र सिंह धोनी भी उसी मैदान पर प्रैक्टिस करते दिखे। हमारे अभ्यास सत्र को देखने के बाद उन्होंने मुझसे मुलाकात की और ऑटोग्राफ भी दिए। खेल ने मुझे जीवन के लक्ष्य प्राप्त करने के कई अवसर दिए हैं। इसने मुझे जीवन में समस्याओं का सामना करने का आत्मविश्वास दिया है। मुझे टीम में एक साथ काम करने और दूसरों के साथ बेहतर संवाद करने में मदद मिली है। आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने खेल और कोच सर की बदौलत ही हूं। उन्होंने हर कदम पर मेरी मदद की और मेरा हौसला बढ़ाया, मुझे जीवन में सफल होने का रास्ता दिखाया। मैं अब 12वीं कक्षा में हूं। मेरी कोशिश है कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलूं, इसके लिए मैं नेट पर जमकर पसीना बहा रही हूं। मेरा सपना भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करना और लड़कियों को खेल और अपने देश के लिए खेलने को प्रेरित करना है।
(विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित।)