Visit Website
Logout
Welcome
Logout
Dashboard
Social Links
Advertisment
Add / Edit Category
Add News
All News
Newspaper
Book
Videos
Bottom Marquee
About
Sampadika
Contact
Change Password
Dashboard
News Edit
Edit News Here
News Title :
News title should be unique not use -,+,&, '',symbols
News Image:
Category:
अपनी बात
शख्सियत
साक्षात्कार
आयोजन
मैदानों से
ग्वालियर
राज्यों से
क्रिकेट
स्लाइडर
प्रतिभा
अंतरराष्ट्रीय
शिक्षा
Description:
मेरी बेटी की टांग छोड़ दे, तोड़ ना दियो
टोक्यो ओलम्पिक के लिए भारत की स्टार महिला पहलवान विनेश फोगाट ने क्वॉलीफाई कर लिया है। विनेश ने बताया कि ओलम्पिक क्वॉलीफिकेशन के अहम मुकाबले में मैट पर परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने कोचों द्वारा बताई गई रणनीति में बदलाव किया और जीत हासिल की। विश्व चैम्पियनशिप की ओलम्पिक क्वॉलीफाइंग बाउट से पहले कोच वूलर एकोस ने विनेश को सारा एन हिल्डरब्रांट से दूर रहने के साथ उसके दाएं हाथ को रोकने और पैरों को बचाने की रणनीति सुझाई थी, लेकिन विनेश ने मैट पर परिस्थितियों के हिसाब से इसका उलट किया।
विनेश ने 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीतने और टोक्यो ओलम्पिक का टिकट कटाने के बाद कहा, 'कोचों ने कुछ और ही रणनीति सुझाई थी लेकिन मुझे मैट पर कुछ और ही लगा और मैंने इसी के मुताबिक रणनीति में बदलाव किया। मुझे लगा कि वो मुझ पर दबाव बना रही थी लेकिन मैं अंक नहीं गंवा रही थी तो इससे वो थक रही थी।' उन्होंने कहा, 'इसलिए मैंने सोचा कि क्यों उसे पैरों पर आक्रमण करने के लिए लुभाऊं और फिर डिफेंस में मजबूत बनी रहूं ताकि इससे वो पूरी तरह थक जाए। मैंने उसे ऐसा करने दिया और फिर उसे रोक लिया। ये मेरे लिए कारगर रहा। मैं जानती हूं कि वो मेरी तुलना में कितनी मजबूत थी।'
अमेरिका की नंबर एक पहलवान ने रेपेचेज की दूसरी बाउट के दौरान पांच बार विनेश के पैर को पकड़ा था लेकिन वो इसमें से एक में भी अंक नहीं जुटा सकी। विनेश ने कहा, 'अगर वो कुछ अंक जुटा भी लेती तो वो थक जाती क्योंकि इसके लिए वो अपनी पूरी ताकत झोंक देती।' ये भारतीय पहलवान जानती है कि बड़ा मेडल जीतने का मतलब क्या होता है। वो रियो ओलम्पिक से पहले लगी चोट को भूली नहीं हैं जिसके कारण उन्हें कुछ हफ्तों तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था।
उन्होंने कहा, 'मेरी मां ने तो मेरी बाउट देखना ही बंद कर दिया था। उन्हें डर लगता था कि मैं फिर से अपने पैर में चोट लगा लूंगी। हालांकि वो अगर देखती भी तो वो चिल्ला चिल्लाकर दूसरों के लिए मुश्किल पैदा कर देतीं कि अरे, मेरी बेटी की टांग छोड़ दे, तोड़ ना दियो।' अपने पहलवान पति सोमबीर राठी के बारे में उन्होंने कहा, 'उन्होंने भले ही मेडल नहीं जीते हों लेकिन कुश्ती के दांव-पेच में वो बहुत चतुर हैं। वो भी वही चीज कहते हैं जो मेरे विदेशी कोच ने कही थी।'