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नूर सुल्तान (कजाखस्तान)। भारतीय कुश्ती के लिये बुधवार का दिन शानदार रहा क्योंकि विनेश फोगाट ने यहां कांस्य पदक जीतने के साथ 2020 टोक्यो ओलंपिक क्वालीफिकेशन हासिल किया जबकि पूजा ढांडा विश्व चैम्पियनशिप में दूसरा पदक जीतने से केवल एक जीत दूर हैं। इससे पहले 3 विश्व चैम्पियनशिप में विनेश पदक हासिल नहीं कर पायी थीं लेकिन उन्होंने कांस्य पदक के मुकाबले में मारिया प्रेवोलाराकी को हराकर अंत में इस प्रतियोगिता में पदक के सूखे को समाप्त किया।
25 साल की भारतीय को मुकाबले के शुरू में निष्क्रियता बरतने के कारण एक अंक गंवाना पड़ा क्योंकि 2 बार की पदकधारी मारिया के चेहरे पर कट लग गया था। विनेश ने फिर दो मूव बनाये लेकिन मारिया ने अच्छा बचाव कर ब्रेक तक मामूली बढ़त बनाये रखी। मारिया खड़े होकर दाव खेलने के लिये जोर लगा रही थी लेकिन भारतीय पहलवान ने पैर पर दोहरा आक्रमण किया। हालांकि मारिया ने इसका अच्छा बचाव किया। यूनानी पहलवान ने फिर विनेश के दायें पैर को पकड़कर दबाव बनाया। कुछ क्षण बाद मारिया को दूसरी बार चोट का उपचार कराना पड़ा। फिर विनेश ने 4 अंक के थ्रो और प्रतिद्वंद्वी को जमीन पर रखने से जीत हासिल की। इससे पहले विनेश ने 53 किलो रेपेचेज के दूसरे दौर में अमेरिका की सारा एन हिल्डेब्रांट पर 8-2 से जीत हासिल की। पूजा ढांडा ने 59 किलो के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारतीय खेमे की खुशी बढ़ा दी, हालांकि यह वर्ग ओलंपिक में शामिल नहीं है। बिल्ली की तरह स्फूर्ति है विनेश में : कोच भारत के विदेशी कोच एंड्रयू कुक ने कहा, ‘विनेश का संतुलन लाजवाब है। यह बिल्ली की तरह है। आप बिल्ली को ऊंची इमारत से नीचे फेंक दो तब भी वह नीचे सुरक्षित अपने पांवों पर ही खड़ी होगी। विनेश का संतुलन भी कुछ इसी तरह से है।’ उन्होंने कहा, ‘यह विलक्षण है। यह जाइरोस्कोप की तरह है। यह ऐसा है जो खिलाड़ियों में नैसर्गिक तौर पर आता है। आप इसे अभ्यास से हासिल नहीं कर सकते।’ चोट से जूझने के बाद ओलम्पिक तक पहुंची विनेश कांटों में जो पलता है, शोलों मे जो खिलता है। वह फूल ही गुलशन की तारीख बदलता है।’ ये पंक्तियां चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी अंतर्राष्ट्रीय महिला पहलवान विनेश फोगाट की मेहनत पर एकदम फिट बैठती हैं। जिन्होंने रियो ओलम्पिक के दौरान लगी चोट का मुकाबला किया और टोक्यो 2020 ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत के बूते लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। रियो ओलम्पिक में चोट लगने के बाद कड़ी मेहनत के बूते विनेश फोगाट ने मैट पर वापसी करते हुए अनेक अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में मेडल बटोरे। चरखी दादरी जिले के छोटे से गांव बलाली निवासी विनेश फोगाट के परिजनों ने इस उपलब्धि को उसकी कड़ी मेहनत का फल बताया। विनेश के ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर पहलवान का कहना है कि परिवार को ही नहीं बल्कि देशभर के लिए यह गर्व की बात है। वहीं बबीता फोगाट ने कहा कि विनेश कड़ी मेहनत करते हुए रियो ओलम्पिक में लगी चोट से उबरी।