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भारत के शीर्ष पहलवानों के लिये शनिवार से शुरू हो रही विश्व चैम्पियनशिप में असली परीक्षा होगी क्योंकि इसमें वे प्रतिष्ठा की ही नहीं बल्कि टोक्यो ओलंपिक क्वालिफिकेशन की भी उम्मीद लगाये होंगे। विश्व चैम्पियनशिप से पहले बजरंग पूनिया और विनेश फोगट का प्रदर्शन शानदार रहा है जबकि दिव्या काकरान भी कुछ अच्छे नतीजों से आत्मविश्वास से भरी होंगी। चैम्पियनशिप से कुश्ती की तीनों शैलियों के 6 वर्गों में 6 ओलंपिक कोटे मिलेंगे। बजरंग ने इस सत्र की सभी चार प्रतिस्पर्धाओं-डैन कोलोव, एशियाई चैम्पियनशिप अली अलीव और यासर डोगू – में जीत दर्ज की। वह विश्व चैम्पियनशिप के 65 किग्रा वर्ग में दुनिया के नंबर एक और शीर्ष वरीय पहलवान के तौर पर मैट में उतरेंगे। विनेश ने नये वजन वर्ग से सत्र की शुरुआत की जिसमें उन्होंने 50 से 53 किग्रा में खेलने का फैसला किया। उन्होंने इस नये वजन वर्ग सांमजस्य बिठाने के लिए कुछ समय लिया। प्रतियोगिता में महिला पदक का सूखा विनेश के लिये कौशल संबंधित कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन मजबूत प्रतिद्वंद्वी को 6 मिनट तक पकड़कर रोके रखना एक बड़ी चुनौती है। इस संबंध में बड़े स्तर की प्रतियोगिता उन्हें इसका आकलन करने में मदद करेगी क्योंकि इस पहलवान की निगाहें पहले विश्व पदक पर लगी हैं। पिछले साल कोहनी की चोट के कारण उन्हें बुडापेस्ट चैम्पियनशिप से बाहर होने के लिये मजबूर होना पड़ा था। विश्व चैम्पियनशिप में भारत की किसी महिला पहलवान ने स्वर्ण पदक नहीं जीता है और विनेश के पास भारत के सूखे को समाप्त करने का मौका होगा। जूझ रही हैं साक्षी मलिक सुशील की तरह रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जूझ रही हैं। उन्होंने 2017 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप जीतने के बाद से कोई खिताब नहीं जीता है। इस सत्र में डैन कोलोव पर उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दूसरा स्थान रहा था। उन्होंने विश्व चैम्पियन पेट्रा ओली को हराकर उलटफेर करते हुए रजत पदक हासिल किया। वह लंबे समय से दबाव को झेलने में सहज नहीं हो पा रही हैं। बाउट के अंतिम क्षणों में रक्षात्मक होना उसके लिये मददगार नहीं हो रहा है, जिसके कारण वह कई बार अच्छी स्थिति के बावजूद हार गयी।