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लंगोट दांव लगाने का लगा दिया प्रतिबंध
मथुरा। खबर रंग लाती है बशर्ते उसमें सच का सम्पुट हो। फिरोजाबाद के जिस विक्रम पहलवान को कोलकाता एयरवेज पर बैंकाक जाने से रोका गया था, उसे आखिरकार मेरी खबर (निकम्मे हुक्मरानों ने तोड़ा उदीयमान पहलवान विक्रम का सपना) के चलते दिल्ली से बैंकाक की उड़ान भरने का मौका तो मिल गया लेकिन वहां भी उसके साथ नियम-कायदों का मजाक किया गया। मुझे पता है कि विक्रम एक क्षमतावान पहलवान है, जिसके लंगोट दांव से अच्छे से अच्छे पहलवान पनाह मांगते नजर आते हैं। बैंकाक के अखाड़े पर जब फिरोजाबादी पहलवान विक्रम उतरा तो वहां के स्थानीय पहलवानों में उससे न लड़ने की अनिच्छा साफ-साफ देखी गई। बैंकाक के पहलवानों की स्थिति को देखते हुए आयोजन समिति ने विक्रम के लंगोट दांव पर प्रतिबंध लगा दिया। विक्रम को बोला गया कि तुम पहलवान की चड्ढी नहीं पकड़ोगे।
इस प्रतिबंध के बाद विक्रम को निराशा तो हुई लेकिन उसने मादरेवतन का मान बढ़ाने की खातिर न केवल हर शर्त स्वीकार की बल्कि वहां के पहलवानों को बैंकाक केसरी बनने से भी रोक दिया। बैंकाक में विक्रम को अप्रवासी भारतीयों का न केवल स्नेह मिला बल्कि वहां के कुश्तीप्रेमियों ने भी उसके दांव-पेचों की मुक्तकंठ से सराहना की। विक्रम बेहद प्रतिभाशाली पहलवान है। वह अब तक अपने पराक्रमी कौशल से एक-दो नहीं सैकड़ों कुश्तियां फतह कर चुका है। बैंकाक में विक्रम ने साफतौर पर कहा कि वह भारत से लड़ने आया है, लिहाजा वह किसी भी पहलवान से मुकाबले को तैयार है। विक्रम ने अपने कौशल की जो बानगी पेश की वह काबिलेतारीफ है।
पहलवानी विक्रम की जिन्दगी का अहम हिस्सा बन चुकी है, यही वजह है कि देश के किसी भी कोने में दंगल हो वह वहां पहुंच कर अपनी ताकत और कौशल का सभी को मुरीद बना लेता है। बैंकाक जाकर भारत का नाम रोशन करने के लिए उसने कड़ी मशक्कत की थी। सच यह है कि विक्रम बेहद शालीन कुश्ती को समर्पित ऐसी प्रतिभा है जिस पर समूचे फिरोजाबाद को नाज है।
अनंत प्रताप सिंह का कहना
बैंकाक (थाइलैण्ड) में कुश्ती के आयोजनों के मुख्य सूत्रधार अनंत प्रताप सिंह ने खेलपथ को दूरभाष पर बताया कि यह आयोजन पिछले 99 साल से हो रहा है। हमारे यहां विक्रम के साथ किसी भी तरह की कोई बेईमानी नहीं हुई है। बैंकाक में चड्ढी पकड़ने की मनाही है, यह बात विक्रम को पहले ही बता दी गई थी। आयोजकों ने विक्रम से प्वाइंट के आधार पर मुकाबला लड़ने को कहा लेकिन वह तैयार नहीं हुआ। विक्रम यहां दो मुकाबले लड़े लेकिन कोई मुकाबला पूरा नहीं कर सके। अनंत प्रताप सिंह ने कहा कि इस तरह की मनगढ़ंत बातों से आयोजन समिति की बदनामी होती है। हमारा प्रयास पहलवानी को बढ़ावा देना है न कि राजनीति करना।